Pegasus news: पेगासस मुद्दे पर तीन सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमेटी का गठन, जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश

देश
ललित राय
Updated Oct 27, 2021 | 13:00 IST

Pegasus news: पेगासस मुद्दे पर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि प्रेस की आजादी का हनन ना हो। निजता कानून पर चर्चा करने की जरूरत है। इसके साथ ही एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का निर्देश दिया।

pegasus news, pagasus, pegasus kya hai, pegasus scandal, pegasus spyware, peagsus supreme court
पेगासस मुद्दे पर तीन सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमेटी का गठन, जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश 
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों वाली कमेटी गठित की
  • सुप्रीम कोर्ट के पू्र्व जस्टिस आर वी रविंद्रन करेंगे अगुवाई
  • समिति को जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश

Pegasus news: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पेगासस मुद्दे पर तीन सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमेटी( तीन और सदस्य सहयोग करेंगे) गठित करने का निर्देश दिया है।सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मुद्दे में केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया है, इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा। 

तीन सदस्यों वाली समिति, आर वी रविंद्रन करेंगे अगुवाई
उच्चतम न्यायालय ने इज़राइली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिए भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया।प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि इस तीन सदस्यीय समिति की अगुवाई शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन करेंगे।उच्चतम न्यायालय ने विशेषज्ञों के पैनल से जल्द रिपोर्ट तैयार करने को कहा और मामले की आगे की सुनवाई आठ सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध की।

एक्सपर्ट कमेटी

  1. आर वी रविंद्रन (अध्यक्ष)- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस
  2. आलोक जोशी
  3. डॉ संदीप ओबेरॉय

पीठ ने कहा कि याचिकाओं में निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन जैसे आरोप लगाए गए हैं, जिनकी जांच करने की जरूरत है।ये याचिकाएं इज़राइल के स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के जरिए सरकारी एजेंसियों द्वारा नागरिकों, राजनेताओं और पत्रकारों की कथित तौर पर जासूसी कराए जाने की खबरों की स्वतंत्र जांच के अनुरोध से जुड़ी हैं।केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था।

याचियों ने जासूसी करने का लगाया है आरोप
याचिका उन लोगों की तरफ से लगाई गई थी जिनको शक था कि उनके फन पर पेगासस के जरिए नजर रखी गई थी।  शीर्ष अदालत यह स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं थी कि केंद्र को एक समिति का गठन करना चाहिए।, सीजेआई रमना ने 23 सितंबर को वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह, जो एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, को संकेत दिया था कि अदालत एक समिति स्थापित करने की कोशिश कर रही है। पीठ ने सितंबर के मध्य में कहा था कि एक अंतरिम आदेश 2-3 दिनों में आ जाएगा। लेकिन इसमें देरी हो गई थी, CJI ने कहा था कि कि समिति के कुछ सदस्यों ने व्यक्तिगत कठिनाइयों के कारण शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की थी। 

क्या है पूरा मामला

  1. याचिका में स्वतंत्र जांच की अपील
  2. 2018-19 के बीच जासूसी का दावा
  3. इजरायसी साफ्टवेयप पेगासस से जासूसी का आरोप
  4. मीडिया रिपोर्ट से हुआ था खुलासा
  5. केंद्र सरकार ने आरोपों को किया था खारिज

केंद्र सरकार का क्या था पक्ष

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उस समय कहा था कि केंद्र स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति बनाने के लिए खुला था जो विवाद के सभी पहलुओं में जा सकता है और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है, जबकि एक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग “नहीं कर सकता” व्यापक राष्ट्रीय हित और राष्ट्र की सुरक्षा के हित में सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।"

एसजी ने पीठ से सरकार को विशेषज्ञ समिति गठित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। लेकिन याचिकाकर्ताओं के अधिकांश वकीलों, जिनमें वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, श्याम दीवान, राकेश द्विवेदी, दिनेश द्विवेदी, कॉलिन गोंजाल्विस और मीनाक्षी अरोड़ा शामिल हैं, ने अदालत से सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने का आग्रह किया, यह कहते हुए कि "गलत करने वाले" को अनुमति नहीं दी जा सकती है। जांच का मंच चुनने की स्वतंत्रता है। वकीलों ने प्रस्तुत किया कि अदालत को अपनी पसंद के सदस्यों से युक्त एक पैनल का गठन करना चाहिए।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर