मध्य प्रदेश में "बिजली" राजनीति, शिवराज की बढ़ी मुश्किल

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Sep 07, 2021 | 19:41 IST

Madhya Pradesh Electricity Issue: प्रदेश में बिजली संकट पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता दिग्वजिय सिंह और कमलनाथ लगातार शिवराज सरकार को घेर रहे हैं।

shivraj singh chauhan
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश सरकार ने करीब 21 हजार मेगावॉट के पॉवर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) विभिन्न बिजली कंपनियों से कर रखे हैं।
  • मंत्रियों के समूह ने बिजली सब्सिडी बोझ कम करने की सिफारिश की है। इसके तहत प्रति माह 100 यूनिट के बाद बिजली खर्च करने पर सब्सिडी खत्म हो जाएगी
  • शिवराज सरकार का दावा कि बिजली संकट संकट थोड़े दिनों के लिए था, लेकिन अब खत्म हो गया है।

नई दिल्ली। समय का पहिया घूमता रहता है, इस बात का सटीक उदाहरण मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह का 3 सितंबर का ट्वीट है। जिसमें वह लिख रहे हैं कि "बड़ी विडंबना है। वर्षा ऋतु में Hydel Projects से पूरी बिजली पैदा होती है।कृषि की मांग नहीं है। मप्र में आवश्यक्ता से अधिक बिजली उत्पादन की क्षमता है। फिर कटौती क्यों हो रही है? समझ से परे है। बंटाधार कौन? बिजली कटौती से हाहाकार, अंधेरा लाई शिवराज सरकार   "बत्ती गुल, बिल "फुल "। दिग्विजय सिंह जिस बिजली कटौती पर मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेर रहे हैं, उसी बिजली संकट के नाम पर 2013 में उनकी 10 साल पुरानी सत्ता चली गई थी। कुछ इसी तरह का संकट इस समय मध्य प्रदेश में है। हालांकि शिवराज सरकार का कहना है कि यह संकट थोड़े दिनों के लिए था, लेकिन अब खत्म हो गया है।

क्या है मामला

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले किसान राम पाल सिंह का कहना है कि पिछले कुछ समय से बिजली को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ठीक से बिजली नहीं आ रही है। वोल्टेज काफी कम रह रहा है और थोड़े-थोड़े अंतराल पर कटौती हो रही है। ऐसे में अगर आगे भी ऐसा ही हाल रहा तो अगले एक-दो महीने में जब खेती के लिए बिजली की जरूरत पड़ेगी। तो संकट खड़ा हो सकता है। संकट का आलम यह है कि भाजपा के ही विधायक बिजली संकट को लेकर मुख्य मंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं। टीकमगढ़ से भाजपा विधायक राकेश गिरी ने एक हफ्ते पहले मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि टीकमगढ़ और निवाड़ी के ग्रामीण क्षेत्रों में 12-15 घंटे की कटौती की जा रही है।

बिजली होने के बावजूद संकट

असल में सरकार पर विपक्ष इसलिए हमलावर हो रहा है क्योंकि प्रदेश सरकार ने करीब 21 हजार मेगावॉट के पॉवर पर्चेज एग्रीमेंट विभिन्न बिजली कंपनियों से कर रखे हैं। और पीक समय में भी मांग 13-14 हजार मेगावॉट तक जाती है। इसके बावजूद बिजली क्यों नहीं मिल रही है। इस पर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पराशर कहते हैं "देखिए कुछ दिनों के लिए अस्थायी संकट था। वह उस समय था जब मध्य प्रदेश में बाढ़ आई हुई थी और कुछ खदानों में पानी भर गया था। लेकिन अब बीते कल से कोई संकट नहीं है। सरकार ने भी माना था 5-7 दिनों का ही संकट था। प्रदेश में कुछ जिलों में बाढ़ आ गई और कुछ में सूखा हो गया था। लेकिन अब ऐसी कोई समस्या नहीं है।"

सब्सिडी घटाने पर विचार कर रही है सरकार 

हाल ही में मंत्रियों के समूह ने बिजली सब्सिडी का बोझ कम करने की सिफारिश की है। इसके तहत 100 रुपये में 100 यूनिट के बाद बिजली खर्च करने पर सब्सिडी खत्म हो जाएगी और पूरा सामान्य चार्ज उपभोक्ता से लिया जाना चाहिए। और पूरा सामान्य चार्ज उपभोक्ता से लिया जाना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में 100 यूनिट से अतिरिक्त खर्च होने पर केवल अतिरिक्त यूनिट पर सामान्य चार्ज लिया जाता है। लेकिन अगर सरकार मंत्रियों के समूह की सिफारिश मान लेती है तो तय लिमिट से ज्यादा खर्च होने पर पूरी यूनिट पर सामान्य चार्ज लिया जाएगा। इसी तरह बड़े किसानों से भी सामान्य चार्ज लेने की सिफारिश मंत्रियों के समूह ने की है। इस पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा है "आम उपभोक्ता और किसानों पर महंगी बिजली का बोझ डाला गया तो कांग्रेस शांत नहीं बैठेगी।" मंत्रियों के समूह के प्रस्ताव पर लोकेंद्र कहते हैं, यह तो एक समूह की सिफारिश है। सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। विपक्ष तो बात का बतंगड़ बना रहा है। 

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