राज्यसभा सांसद बने पूर्व CJI रंजन गोगोई, राष्ट्रपति ने किया मनोनीत

देश
किशोर जोशी
Updated Mar 16, 2020 | 22:35 IST

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मनोनीत किया है।

 President Ram Nath Kovind nominates former Chief Justice of India Ranjan Gogoi to the Rajya Sabha
अब राज्यसभा में दिखाई देंगे पूर्व CJI रंजन गोगोई, राष्ट्रपति ने किया नामित 
मुख्य बातें
  • पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अब राज्यसभा में आएंगे नजर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया मनोनीत
  • अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल में जस्टिस गोगोई ने कई अहम मुद्दों पर फैसले दिए
  • उनके कार्यकाल में असम एनआरसी, अयोध्या विवाद और राफेल जैसे मुद्दों पर आखिरी फैसले आए

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं। राष्ट्रपति ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है। जस्टिस गोगोई ने ही अयोध्या मामले में फैसला दिया था। इसके अलावा पूर्व सीजीआई रंजन गोगोई ने कई पुराने लंबित मामलों का निपटारा किया था जिनमें असम में कई वर्षो से लंबित एनआरसी को लागू करवाने और राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में केंद्र सरकार को क्लीन चिट देना शामिल है।

टीएमसी और ओवैसी ने उठाए सवाल

 राष्ट्रपति द्वारा उन्हें मनोनीत करने पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आना भी शुरू हो गया है। टीएमसी सांसद महुआ मोईत्रा ने ट्वीट करते हुए कहा, 'पूर्व सीजेआई गोगोई राज्यसभा के लिए नामांकित! मुझे हैरानी क्यों नहीं हुई? कोई औचित्य, सर? उन्होंने लागू किया, जल्दबाजी में राम मंदिर की सुनवाई, जम्मू-कश्मीर बंदी प्रत्यक्षीकरण सुनने से इनकार। खुद के यौन उत्पीड़न मामले में कानून से प्रतिरक्षा। राजनेता या न्यायाधीश सभी एक जैसे?' वही्ं ओवैसी ने भी उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि लोगों को न्यायाधीशों की स्वतंत्रता में विश्वास कैसे होगा।

दिए कई महत्वपूर्ण फैसले

सीजेआई रंजन गोगोई के करियर का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला अयोध्या राम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद विवाद रहा। जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की खंडपीठ ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन के उस मामले पर अंतिम फैसला सुनाया जो सैकड़ों सालों से लंबित था। यह एक ऐतिहासिक फैसला था जिसका पूरे देश को इंतजार था।

सीजेआई के खिलाफ हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लिया था हिस्सा

 इसके अलावा जस्टिस गोगोई ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने के फैसले पर भी अडिग रहे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि तय समयसीमा में एनआरसी को लागू किया जा सके जिससे घुसपैठियो की पहचान हो सके। हालांकि उन जजों केसमूह के सबसे वरिष्ठ जज थे जिन्होंने सीजेआई पदभार संभालने से पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे और एक सामूहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

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