नई दिल्ली : कोविड-19 की जांच मुफ्त में करने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला निजी लैब्स को रास नहीं आया है। वे शीर्ष अदालत के इस फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि कोविड-19 की जांच चाहे सरकारी लैब में हो या मान्यता प्राप्त निजी लैब में, इन दोनों जगहों पर जांच मुफ्त में होनी चाहिए। निजी लैब्स का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला उनके साथ नैसर्गिक न्याय नहीं कर रहा है। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देने के लिए पांच आधार तैयार किए हैं।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब्स में अथवा डब्ल्यूएचओ या आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत लैब या एजेंसी में होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन निजी लैब्स का भुगतान सरकार को करना चाहिए या नहीं इस पर फैसला बाद में होगा। निजी लैब ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए पांच आधार तैयार किए हैं जो इस प्रकार हैं-
इससे पहले सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को सलाह दी कि वह एक ऐसा तंत्र बनाए जिससे कोविड-19 की जांच कर रहे निजी लैब्स मरीजों से शुल्क मत वसूलें और कोविड की टेस्ट में निजी लैब्स को आने वाली लागत का भुगतान बाद में सरकार करे।
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