नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए 1 स्वदेशी SARS-CoV-2 ह्यूमन IgG ELISA टेस्ट किट को सफलतापूर्वक विकसित किया है। यह संक्रमण के संपर्क में आने वाली आबादी के अनुपात की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस बारे में ट्वीट करते हुए जानकारी दी है। यह स्वदेशी किट रैपिड टेस्टिंग किट की तरह ही काम करती है।
रैपिड टेस्टिंग किट से बेहतर: ELISA - एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एसेय - एंटीबॉडी टेस्ट के तहत एक तरह का रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) है। ELISA किट रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की तरह ही है, जो खून में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए उपयोग की जा सकती है। इससे पता चलेगा कि- कोई व्यक्ति COVID-19 संक्रमण से संक्रमित था या नहीं। आईसीएमएफ अधिकारियों के अनुसार, ELISA किट अधिक विश्वसनीय है और रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण किट की तुलना में सस्ती है।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस बारे में कहा, 'आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे द्वारा विकसित की गई एंटीबॉडी किट से उस आबादी पर निगरानी रखने में मदद मिलेगी जिस पर कोरोना से संक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ है। इस दिशा में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आईसीएमआर ने ELISA परीक्षण किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ज़ाइडस कैडिला के साथ भागीदारी की है।
बड़े पैमाने पर किया जाएगा उत्पादन: ICMR-NIV, पुणे में डेवलपमेंट के बाद, तकनीक को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए Zydus Cadila को ट्रांसफर कर दिया गया है, जो एक नवाचार-संचालित वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी है।
Zydus Cadila ने इसके व्यावसायिक उत्पादन में तेजी लाने के लिए चुनौती ली है ताकि इन्हें जल्द से जल्द उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सके। परीक्षण को 'COVID KAVACH ELISA' नाम दिया गया है। यह रिकॉर्ड समय में 'मेक इन इंडिया' का एक आदर्श उदाहरण भी बन गया है है।
इससे पहले इस बारे में एएनआई की ओर से रिपोर्ट दी गई थी कि ICMR ने इस ELISA (एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एस्सेय) किट का उपयोग करने की योजना बनाई है, जिसमें COVID की अधिकतम संख्या वाले लगभग 75 जिलों में एक अध्ययन किया जा सकता है।
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