नई दिल्ली: विटामिन डी यानी कि धूप से कई शारीरिक लाभ होते हैं। यह आपकी हड्डियों को मजबूत रखता है। विटामिन डी शरीर में कई भूमिकाएं निभाता है, जिसमें इम्यून फंक्शन (प्रतिरक्षा कार्य) शामिल है। अध्ययन सलाह देते हैं कि विटामिन डी पोषक बीमारी और इंफेक्शन से लड़ने में मददगार होते हैं। विटामिन डी के खाद्य स्रोतों में अंडे की जर्दी, सार्डिन, फोर्टिफाइड दूध और अनाम, ऑरेंज ज्यूस आदि होते हैं। अब एक नई रिसर्च में पता चला है कि विटामिन डी की कमी और कोरोना वायरस के कारण मृत्यु दर में बढ़ोतरी के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध हैं।
इससे पहले ऑब्जरवेशनल अध्ययनों में सुझाव दिया गया था कि विटामिन डी के कम स्तर से तीव्र श्वसन पथ के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, कोरोना वायरस बीमारी में विटामिन डी की भूमिका अब तक स्थापित नहीं हुई है।
विटामिन डी को कोविड-19 से कैसे जोड़ा गया?
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में बनी शोध टीम ने जर्मनी, इटली, ईरान, फ्रांस, स्पेन, चीन, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड, लंदन और अमेरिका जैसे कई देशों के अस्पतालों और क्लीनिक से निकाले आंकड़ों से पता किया कि कोरोना वायरस का संबंध विटामिन डी की कमी से है या नहीं। उन्हें पता चला कि कोरोना वायरस के कारण ज्यादा मृत्यु दर वाले देश जैसे स्पेन, इटली और लंदन में विटामिन डी का स्तर उन देशों की तुलना में कम है जहां इसका गहरा प्रभाव नहीं है।
लंदन में एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी की अध्ययन शोधकर्ता डॉ ली स्मिथ ने कहा, 'हमें औसत विटामिन डी स्तरों और कोविड-19 मामलों की संख्या और विशेष रूप से कोविड-19 मृत्यु दर, 20 यूरोपीय देशों में जनसंख्या के प्रमुख के बीच एक महत्वपूर्ण क्रूड संबंध मिला।' अध्ययन ने विटामिन डी के स्तरों और साइटोकिन तूफान के बीच मजबूत सहसंबंध भी बताया गया है, जो अति प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली हाइपरइन्फ्लेमेटरी स्थिति है। विशेषज्ञों का कहना है कि साइटोकिन तूफान गंभीर रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम या यहां तक कि रोगियों की मृत्यु भी हो सकती है।