नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पिछले एक महीने से भी अधिक समय से जारी है। कड़ाके की ठंड और तमाम मुश्किल हालात के बीच दिल्ली की सीमाओं पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। सरकार के साथ किसानों की छह दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन इसका अब तक कोई नतीजा निकलकर सामने नहीं आया है। किसानों और सरकार की एक और बातचीत अब कल यानी सोमवार, 4 जनवरी को होनी है।
किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को अगर नहीं सुना जाता और 4 जनवरी की बातचीत भी सफल नहीं रहती है तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर किसान आंदोलन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने जहां किसान आंदोलन की तुलना 'चंपारण सत्याग्रह' से की, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कॉरपोरेट जगत को 'कंपनी बहुादुर' का दर्जा दिया।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि आंदोलन में भाग ले रहा हरेक किसान एवं श्रमिक सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर रहेगा। उन्होंने हिंदी में ट्वीट कर कहा, 'देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है। तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं। लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।'
यहां उल्लेखनीय है कि चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व महात्मा गांधी ने 1917 में किया था, जिसे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में ऐतिहासिक मोड़ माना जाता है। किसानों ने ब्रिटिश शासनकाल में नील की खेती करने संबंधी आदेश और इसके लिए कम भुगतान के विरोध में बिहार के चंपारण में यह आंदोलन किया था। राहुल गांधी ने उसी आंदोलन का जिक्र अपने ट्वीट में करते हुए मौजूदा किसान आंदोलन को उससे जोड़ा है। कांग्रेस तीनों कृषि कानूनों को यह कहते हुए रद्द करने की मांग कर रही है कि इससे खेती और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
इस बीच अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर के इलाकों में शनिवार रात और रविवार दिन में हुई बारिश ने बढ़ा दी हैं। आंदोलन स्थलों पर पानी जमा हो गया है, जबकि सिहरन भी बढ़ गई है, पर इससे किसानों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें किसानों की पीड़ा नजर नहीं आ रही है। वहीं, सिंघू बॉर्डर पर डटे गुरविंदर सिंह ने कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद वे तब तक यहां से नहीं हिलेंगे, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
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