Rajnath Singh Political Career:बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) अपने सख्त फैसलों के लिए अलग ही पहचान रखते हैं, शायद यही वजह है कि उन्हें बीजेपी के हर दौर में तवज्जो मिली है, उनकी राजनीति की शुरूआत के दौर से आज तक वो तमाम जिम्मेदारियां भी निभाते आए हैं।1991 में, जब भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पहली बार अपनी सरकार बनाई, तो उन्हें शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का प्रमुख कदम "नकल-विरोधी अध्यादेश" (Anti Copying Act-1992) शामिल था जिसकी वजह से छात्रों के साथ नकल माफियाओं के होश उड़ गए थे।
राजनाथ सिंह उस वक्त 'नकल-विरोधी अध्यादेश' के चलते मशहूर हुए इसमें नकलची विद्यार्थियों को एग्जाम हॉल से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत कोर्ट से मिलती थी इस बोल्ड कदम से उस वक्त ऐसा हंगामा हुआ था जिसकी मिसाल कम ही मिलती है।
राजनाथ सिंह को लेकर एक वाकया खासा चर्चित है जिसके मुताबिक बताते हैं कि यूपी के सीएम रह चुके रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह इमरजेंसी के दौरान एक ही जेल में बंद थे रामप्रकाश गुप्ता ने यूं ही राजनाथ सिंह का हाथ देखना शुरू किया राजनाथ सिंह उस वक्त जनसंघ से जुड़े हुए थे रामप्रकाश गुप्ता भी जनसंघ में ही थे राजनाथ सिंह की हथेलियों को गौर से देखते हुए रामप्रकाश गुप्ता ने कहा था कि बेटा एक दिन तुम बहुत बड़े नेता बनोगे राजनाथ सिंह बोले-कितने बड़े गुप्ता जी इसपर रामप्रकाश गुप्ता बोले-यूपी के सीएम जितने बड़े राजनाथ सिंह हंसने लगे थे, हालांकि उस वक्त की कही हुई ये बात बाद में सौ फीसदी सही साबित हुई।
राजनाथ सिंह ने जेपी आंदोलन में 1970 के समय के लंबे समय से अपने जमीनी स्तर के प्रभाव के कारण लोगों के बीच एक छवि बनाई थी वो कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे उस वक्त उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में जमकर नकल होती थी शिक्षा मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह नकल रोकने के लिए नकल-विरोधी अध्यादेश लेकर आए इसमें नकलची छात्रों को एग्जाम हॉल से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत कोर्ट से मिलती थी, उनके इस फैसले का बहुत तीव्र विरोध हुआ था हालांकि बाद में कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को इस्तीफा दे दिया, उस वक्त कहा जाता था कि उनको स्टूडेंट्स की हाय लगी थी।
राजनाथ सिंह दो बार पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं वह पहली बार 31 दिसंबर, 2005 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने वहीं दूसरी बार जनवरी 23, 2013 से 9 जुलाई 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। पार्टी की शानदार जीत के बाद, सिंह ने गृह मंत्री का पद संभालने के लिए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से लड़ा था और बाद में उन्हें संसद सदस्य के रूप में चुना गया था।
राजनाथ सिंह ऐसे भारतीय नेता हैं जो कई अहम जिम्मेदारियां निभाने में पीछे नहीं रहे हैं, कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को आज भी नकल माफिया खौफ खाते हैं वहीं अटल जी की सरकार में वो कैबिनेट मंत्री बने इसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नवगठित सरकार में 26 मई, 2014 को राजनाथ सिंह ने भारत के केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में शपथ ली 2019 तक वह इस ओहदे पर रहे वहीं दूसरी बार राजनाथ सिंह मोदी सरकार में रक्षा मंत्री बने हैं और इस दफा भी वो अपनी कार्यशैली के लिए अलग ही पहचान बनाए हुए हैं।
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