कोच्चि : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत की निर्माण प्रक्रिया का जायजा लिया। नौसेना की ओर से तैयार किया जा रहा यह युद्धपोत अपने निर्माण के अंतिम चरण में है। यह यु्द्धपोत अगले साल नौसेना में शामिल होगा और इसे आईएनएस विक्रांत के नाम से जाना जाएगा। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस युद्धपोत की शुरुआत आजादी की 75वीं वर्षगांठ को एक सही मायने में एक उपहार होगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से समुद्र में नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। यह भारत के हितों की सुरक्षा करने वाला होगा।
अगले साल नौसेना में शामिल होगा आईएनएस विक्रांत
कोच्चि में नौसेना के दक्षिणी कमान पहुंचे रक्षा मंत्री ने कहा, 'अगले साल स्वदेशी लड़ाकू विमान वाहक पोत की शुरुआत होना आजादी की 75वीं वर्षगांठ के लिए सही मायने में एक उपहार होगा। इस युद्धपोत के आगमन से देश की रक्षा क्षमता में भारी वृद्धि होगी। यह समुद्र में भारतीय हितों की सुरक्षा करने में मदद करेगा।' राजनाथ सिंह के साथ एडमिरल करमबीर सिंह और नौसेना के अन्य अधिकारी भी मौजूद थ। रक्षा मंत्री निर्माणाधीन स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट करियर पर सवार होकर इसका जायजा लिया।
कुछ महीने में समुद्र में शुरू होगा परीक्षण
अपने निर्माण के अंतिम चरण से गुजर रहे इस युद्धपोत का अगले कुछ महीनों में समुद्र में परीक्षण शुरू होगा। इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के डाइरेक्टरेट ऑफ नैवल डिजायन (डीएनडी) ने किया है। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में बनाया जा रहा है। इस शिप ने अपना बेसिन ट्रायल नवंबर 2020 में पूरा किया।
गुरुवार को नौसेना के कारवार अड्डे पर पहुंचे रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक राजनाथ सिंह को नौसेना की इस कमान में जारी अन्य अभियानगत एवं प्रशिक्षण गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। गुरुवार को नौसेना के कारवार अड्डे पर पहुंचे रक्षा मंत्री ने ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड ’ के तहत जारी बुनियादी ढांचा विकास कार्यों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने कहा की ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ के तहत यहां विकसित किया जा रहा नौसेना अड्डा एशिया में सबसे बड़ा होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसके लिए वह बजट आवंटन बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
यह भारत का सबसे बड़ा नौसना अड्डा होगा-राजनाथ
उन्होंने नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना के पूरी हो जाने पर न सिर्फ भारत की रक्षा तैयारियां मजबूत होंगी, बल्कि देश का व्यापार, अर्थव्यवस्था और उसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली मानवीय सहायता भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा, ‘यह कहा जा रहा है कि यह भारत का सबसे बड़ा नौसना अड्डा होगा, लेकिन मैंने कहा है कि न सिर्फ भारत का, बल्कि हमारी इच्छा यह है कि इसे एशिया का सबसे बड़ा नौसेना अड्डा होना चाहिए तथा मैं इसके लिए जरूरत पड़ने पर बजट आवंटन बढ़ाने का प्रयास करूंगा।’
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