कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को शनिवार (24 सितंबर, 2022) को मध्य प्रदेश में ग्वालियर के एक कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें मानहानि से जुड़े एक मामले में बेल दे दी। डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने पेशी के बाद सिंह को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर यह जमानत दी। सिंह ने मीडिया से दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक पंजीकृत संगठन नहीं है इसलिए उसकी मानहानि का मामला नहीं बनता है।
उन्होंने इसके अलावा आरएसएस की तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से की है। उन्होंने ग्वालियर में आगे कहा 'जो भी नफरत फैलाते' हैं, वे 'एक ही थाली के चट्टे-बट्टे' हैं। इस बीच, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पीएफआई के खिलाफ सरकारी एक्शन के बाद संघ के साथ विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई।
सूबे में पीएफआई पर लिए एक्शन को लेकर पत्रकारों से वह बोले- अगर हिंसा-नफरत और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाती है, तब फिर संघ और विहिप पर एक्शन क्यों नहीं लिया जाता है? इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि आरएसएस और पीएफआई की क्या तुलना कराई जा सकती है? सिंह ने जवाब में कहा, "हां, बिल्कुल।" जो कोई भी नफरत और धार्मिक उन्माद फैलाएगा, वो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। वे एक-दूसरे को कॉम्पलिमेंट करते हैं।
सिंह की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है, जब नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और पुलिस की संयुक्त टीमों ने देश भर के 15 राज्यों में 22 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ विभिन्न जगहों पर रेड डाली थीं, जबकि इस दौरान 106 लोग अरेस्ट किए गए थे।
वहीं, एनआईए सूत्रों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि इस हफ्ते के शुरू में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी को 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' नाम दिया। सूत्रों के मुताबिक, सेवा में लगाए गए सभी 300 अधिकारियों को छापेमारी के दौरान चुप रहने को कहा गया। एजेंसियां पीएफआई के पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करना चाहती हैं।
इस ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और लगभग 200 को हिरासत में लिया गया। ईडी और एनआईए ने जांच के दौरान पाया है कि पीएफआई के सदस्य देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे।
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