नई दिल्ली : रूस ने भारत को बहुप्रतीक्षित S-400 मिसाइल सिस्टम आपूर्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे भारत की रक्षा ताकत को और मजबूती मिलेगी। इसकी पहली यूनिट पाकिस्तान से लगने वाली भारत की पश्चिमी सीमा के पास तैनात की जाएगी। इससे संबंधित उपकरणों को समुद्री व हवाई मार्ग से भारत भेजा जा रहा है। इस साल के आखिर तक पहली यूनिट पहुंचने की उम्मीद है।
S-400 सुपरसोनिक एयर डिफेंस सिस्ट में सुपरसोनिक व हाइपर सोनिक मिसाइलें होती हैं, जो लक्ष्य तक सटीक वार करती हैं। ये मिसाइलें 400 किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसालों, ड्रोन और छिपे हुए विमानों पर हमले कर उन्हें नष्ट कर सकती हैं। इसके लॉन्चर से दुश्मन के मिसाइल या लड़ाकू विमान पर तीन सेकंड में दो मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम के लिए भारत ने अमेरिका की नाराजगी मोल लेते हुए रूस से समझौता किया था। इसके लिए भारत और रूस के बीच अक्टूबर 2019 में लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का करार हुआ था। इसके तहत भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन मुहैया कराए जाएंगे। रूस के साथ इस करार पर आगे बढ़ने की स्थिति में अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी, लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग रहा। अब उसी S-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति भारत को जल्द मिलने जा रही है।
रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्नीकल को-ऑपरेशन (FSMTC) के निदेशक दमित्री शुगेव ने दुबई एयर शो के दौरान इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा की। FSMTC रूस सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है। उन्होंने कहा, 'रूस ने भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई शुरू कर दी है।'
भारत में S-400 मिसाइल सिस्टम के पहले स्क्वाड्रन की आपूर्ति इस साल के आखिर तक हो जाने की उम्मीद की जा रही है। इसके लिए जरूरी उपकरण समुद्री और हवाई दोनों मार्गों से लाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि S-400 मिसाइल सिस्टम के पहले स्क्वाड्रन की पश्चिमी सीमा के पास तैनाती के बाद भारतीय वायुसेना का फोकस पूर्वी सीमा पर होगा, जो चीन से लगती है।
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