नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक-वी (Sputnik-V Vaccine) का भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) ने बुधवार को कहा कि वह डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज को भारत में परीक्षण और वितरण के लिए स्पूतनिक-वी की 100 मिलियन खुराक (10 करोड़) की आपूर्ति करेगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, भारत में एक बार नियामक स्वीकृति मिलने के बाद इस वैक्सीन की आपूर्ति की जाएगी।
आरडीआईएफ ने कहा कि वह डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज में क्लीनिकल ट्रायल्स और भारत में टीका के वितरण में सहयोग करने के लिए सहमत हो गया है। नियामक की मंजूरी मिलते ही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भारत में डिलीवरी 2020 के अंत में संभावित रूप से शुरू हो सकती है।
रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के सीईओ, किरिल डिमिट्रिव ने कहा, 'हमें भारत में डॉ. रेड्डी के साथ साझीदार करने पर बहुत खुशी है। भारत कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से है और हमें विश्वास है कि हमारे ह्यूमन एडीनोवायरस ड्यूल वेक्टर प्लेटफॉर्म कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से मान्य विकल्प प्रदान करेंगे।'
डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज के सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा, 'हम भारत को वैक्सीन लाने के लिए आरडीआईएफ के साथ साझेदारी करके प्रसन्न हैं। चरण I और II के परिणाम अच्छे रहे हैं और हम भारतीय नियामकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में फेज 3 का ट्रायल करेंगे। स्पुतनिक-वी का टीका भारत में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान कर सकता है।'
स्पुतनिक-वी वैक्सीन को गामालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा 11 अगस्त को विकसित किया गया है। इसे रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पंजीकृत किया गया था और ह्यूमन एडीनोवायरस ड्यूल वेक्टर प्लेटफॉर्म के आधार पर ये कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का पहला रजिस्टर्ड टीका बन गया।
हालांकि, दुनिया भर के कई चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने परीक्षण डेटा की पारदर्शिता के अभाव में रूस की इस कोविड-19 वैक्सीन पर संदेह जताया था।
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