नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को शाहीन बाग के धरनास्थल को खाली करा दिया। इस दौरान धरनास्थल खाली कराने का विरोध कर रहे कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया। इस बीच, प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकारों ने कहा है कि 'पुलिस के इस कदम को किसी की जीत या हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।' एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
बता दें कि शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ गत 15 दिसंबर से धरना चल रहा था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार सीएए को वापस ले जबकि सरकार का कहना है कि वह किसी भी सूरत में सीएए को वापस नहीं लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शकारियों से बातचीत कर कोई रास्ता निकालने के लिए न्यायाधीश संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त किया है।
प्रदर्शनकारियों एवं वार्ताकारों के बीच कई दफे बातचीत भी हुई लेकिन समाधान का कोई रास्ता नहीं निकल पाया। इस बीच, कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते राजधानी दिल्ली को लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। दिल्ली में धारा 144 भी लागू है। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने धरनास्तल पर अपने जूते-चप्पल छोड़ते हुए प्रतीकात्मक धरना जारी रखा था। दिल्ली पुलिस ने जामिया इलाके में चल रहे प्रदर्शन स्थल को भी खाली कराया।
शाहीन बाग में धरने के 100 से ज्यादा दिन गुजर जाने के बाद दिल्ली पुलिस मंगलवार सुबह वहां पहुंची और लगे टेंट, चौकियों एवं कुर्सियों को हटा दिया। बता दें कि दिल्ली सरकार ने एहतियात के तौर पर लोगों के एक जगह जुटने पर रोक लगा दी है।
वार्ताकारों ने खुद में भरोसा जताने के लिए 'सुप्रीम कोर्ट, प्रदर्शनकारियों एवं मीडिया को धन्यवाद दिया।' उन्होंने कहा, 'देश इस समय महामारी के खतरे का सामना कर रहा है और इस समय सभी की प्राथमिकता इस महामारी से लड़ने की होनी चाहिए। हम प्रशासन एवं प्रदर्शनाकारियों से अपील करते हैं कि वे ऐसा कुछ भी न करें जिससे कि स्थिति फिर खराब हो।' वार्ताकारों ने कहा कि उन्होंने अपनी दो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है।
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