नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में पहले चरण यानी 27 मार्च को मतदान हो रहा था उस समय पीएम नरेंद्र मोदी बांग्लादेश में मंदिरों के दर्शन कर रहे थे। ओराकांडी में उन्होंने मतुआ समाज के मंदिर में भी दर्शन किए और कई ऐलान किए। लेकिन उस दौरे की पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने निशाना साधा। उन्होंने 2019 की याद दिलाते हुए कहा कि जब कुछ बांग्लादेशी कलाकार टीएमसी के समर्थन में कोलकाता आए तो उनका वीजा कैंसिल करा दिया गया। अब इस विषय पर सामना में पीएम मोदी के दौरे की आलोचना करते हुए बताया गया है कि वह सिर्फ बंगाल में चुनावी फसल को काटने की कोशिश भर है।
सामना के संपादकीय में क्या लिखा है
यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के हिंदू मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ही हो सकता है। उत्तर प्रदेश में जब पहले चरण का मतदान चल रहा था, उस समय मोदी नेपाल के मंदिर में थे, वहीं पश्चिम बंगाल के पहले चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर मोदी पश्चिम बंगाल की सीमा पर बांग्लादेश के मंदिर में थे, यह संयोग कतई नहीं है। मोदी ने बांग्लादेश सरकार से ५१ शक्तिपीठों में शामिल जशोरेश्वरी काली माता मंदिर में दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने मंदिर को सजा दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उस मंदिर की देवी को वस्त्रालंकार अर्पण किया। एक मुस्लिम देश के मंदिर में हिंदुस्थानी प्रधानमंत्री द्वारा अधिकृत रूप से दर्शन करने जाना मोदी प्रेमियों को अवश्य रोमांचित कर सकता है।
बंगाल का चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय
राजनीतिक दृष्टि से अति जागरूक मोदी जैसे दूसरे प्रधानमंत्री देश के इतिहास में नहीं हुए होंगे। इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को भाजपा अर्थात प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है तथा इसके लिए कुछ भी कर गुजरने की उनकी तैयारी है। पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में ‘बांग्लादेशी’ घुस आए हैं। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की भाषा एक ही है। पश्चिम बंगाल की बड़ी आबादी के रिश्तेदार बांग्लादेश में हैं। इंदिरा गांधी के शौर्य और पराक्रम के कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा करके पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए।
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