शिवसेना में बगावत का पुराना इतिहास रहा है बाला साहेब ठाकरे के दौर में भी शिवसेना में बगावत का दौर देखने को मिला था वैसा ही अब उद्धव ठाकरे फेस कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) से पहले कितनी बार हुई है शिवसेन (Shivsena) में बगावत ? मौजूदा समय में शिवसेना में जो तूफान उठा है उससे पार्टी में हुई पुरानी टूट और बगावत की कहानियां लोगों के जेहन में आ गईं है। शिवसेना को इससे पहले पार्टी के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के समय भी बगावत का सामना करना था।
एकनाथ शिंदे के कदम ने शिवसेना के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी सत्तारूढ़ गठबंधन (MVA) के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। शिवसेना में बगावत का इतिहास पुराना रहा है-
दिसंबर 1991 में छगन भुजबल ने बाल ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और 8 शिवसेना के विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को खत सौंपा कि वे शिवसेना-बी नाम का अलग से गुट बना रहे हैं और मूल शिवसेना से खुद को अलग कर रहे हैं। स्पीकर ने भुजबल के गुट को मान्यता दे दी जिसके बाद उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ले ली। इस तरह से शिवसेना को भुजबल ने दो फाड़ कर दिया था।
साल 2003 में महाबलेश्वर में जब बाल ठाकरे ने कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर उद्धव ठाकरे का नाम लिया गया तो इसका विरोध नारायण राणे ने किया। यहीं से नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक दुश्मनी शुरू हो गई। फिर 2005 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बाल ठाकरे ने नारायण राणे को शिवसेना से निकाल दिया तब राणे अपने 10 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
लोग राज ठाकरे में बाल ठाकरे का अक्स, उनकी भाषण शैली और तेवर देखते थे और उन्हें ही बाल ठाकरे का स्वाभाविक दावेदार मानते थे क्योंकि राज ठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे की तरह अपनी बेबाक बयानबाजी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते थे। गौर हो कि बाल ठाकरे के भतीजे और उद्धव ठाकरे के भाई राज ठाकरे पहले शिवसैनिक हैं, जिन्होंने शिवसेना छोड़ने के बाद नई पार्टी बनाई। राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना ने नाता तोड़ लिया था। इसके बाद 2006 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।
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