नई दिल्ली: अहमद पटेल के बेटे फैसल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की और लिखा, 'आखिरकार हमारे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जी से मिलने पर गौरवांवित महसूस कर रहा हूं! एक दिल्ली निवासी के रूप में, मैं उनके वर्क इथिक्स और नेतृत्व कौशल का एक अग्रणी प्रशंसक हूं। मानवता पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव और देश में वर्तमान राजनीतिक मामले पर चर्चा की।'
कांग्रेस में शक्तिशाली नेता माने जाते थे पटेल
यह बैठक एक तरह से कांग्रेस के लिए परेशान करने वाली है, क्योंकि वरिष्ठ पटेल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के वफादार थे और गांधी परिवार के बाद पार्टी के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते थे। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री गुजरात चुनाव पर नजर बनाए हुए हैं, ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री से पटेल का मुलाकात करने काफी अहम माना जा रहा है। पार्टी गुजरात में एक विश्वसनीय चेहरे की तलाश में भी है।
केजरीवाल की नजर गुजरात पर
हाल के दिनों में, केजरीवाल ने गुजरात का दौरा किया है और हाल ही में संपन्न शहरी चुनावों में पार्टी ने सूरत में अच्छा प्रदर्शन किया था, जहां कांग्रेस को आप ने पछाड़ दिया। अहमद पटेल की गुजरात में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर जबदस्त लोकप्रियता थी और अपने घर भरूच में वह काफी लोकप्रिय थे। फैसल पटेल के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें पार्टी द्वारा उनके पिता के निधन के बाद से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। फैसला अपने पिता के राजनीति में सक्रिय रहने तक ज्यादा सक्रिय नहीं थे, लेकिन सूत्रों का कहना है कि परिवार अब राजनीति में फिर से अपने पैर जमाना चाहता है। यह गांधी परिवार की अनुमति के बिना नहीं हो सकता।
फैसल के जरिए आप की नजर गुजरात पर?
फैसल के लिए राजनीति में प्रवेश करने का एकमात्र तरीका यह है कि वह अभी से 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी करे, लेकिन इसमें काफी देरी है, जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव अगले साल ही है। आप ने गुजरात नगर निगम चुनावों में 27 सीटें हासिल की थीं और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि गुजरात की जनता ने भाजपा और कांग्रेस की राजनीति से तंग आकर काम की राजनीति के लिए वोट दिया है।
सूत्रों का कहना है कि आप को युवा और विश्वसनीय चेहरों की जरूरत है और राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए हार्दिक पटेल सहित कई नेताओं पर पार्टी की नजर है। लेकिन किसी नतीजे पर पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी, क्योंकि बैठक के नतीजों को लेकर सभी हितधारकों कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है।
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