नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते करीब डेढ़ महीने से जारी है। किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच इस मसले पर सात दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। किसान आंदोलन के बीच कृषि कानूननों को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है, जिस पर सुनवाई अब 11 जनवरी तक के लिए टल गई है। हालांकि इस संबंध में कोर्ट ने जो टिप्पणी की है, वह गौर करने वाली है।
कृषि कानूनों को रद्द किए जाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा, 'हम किसानों की स्थिति समझते हैं।' कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जबकि अपनी मांगों को लेकर किसान कड़ाके की ठंड और बारिश के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर तंबू गाड़कर डटे हुए हैं। अपनी मांगों के पूरा नहीं होने की स्थिति में उन्होंने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'ट्रैक्टर मार्च' निकालने की चेतावनी भी दी है।
केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि कानून सितंबर में लाए गए थे, जिसका उसी समय से विरोध हो रहा है। किसानों ने इसे अपने हितों के खिलाफ करार दिया है, जबकि सरकार का कहना है कि इन कानूनों के अमल में आ जाने के बाद बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाएगी और किसान अपना उत्पादन कहीं भी बेच सकेंगे। सरकार का दावा है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उन्हें दीर्घकालिक फायदा मिलेगा। लेकिन किसान ये दलील मानने को तैयार नहीं हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।