नई दिल्ली: सात सितंबर को जब कश्मीर से पलायन कर चुके लोगों की राज्य में मौजूद प्रॉपर्टी को दोबारा हासिल करने के लिए, सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल लांच किया था तो इसे एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा था। सरकार का दावा था कि वह इस पोर्टल पर आवेदन करने वाले लोगों की शिकायतों को एक तय समय में हल करेगी। सरकार के इस कदम को कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के घर वापसी के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन अक्टूबर के महीने में कश्मीरी पंडित और फॉर्मासिस्ट माखन लाल बिंद्रू की हत्या से शुरु हुए सिलसिले ने साफ कर दिया है, आतंकवादियों को इस तरह के कदम नागवार लग रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि कश्मीर छोड़ कर चले गए लोगों की घर वापसी से पूरा माहौल बदल जाएगा।
कश्मीर पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने भी माखन लाल बिंद्रू की हत्या के बाद टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से हुई बातचीत में स्वीकार किया था, कि इस तरह के हमले की एक वजह यह भी हो सकती हैं। क्योंकि '2003 में जब कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था। उसके बाद से बिंद्रू साहब की हत्या से पहले ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी। यह बहुत बड़ा संदेश है। साल 2018 के बाद से अब तक जो परिस्थितियां बदली है, उसके आधार पर हमें इस हमले को देखना चाहिए। यह भी सच है कि लोग नहीं चाहते हैं कि कश्मीरी पंडितों का फिर से कश्मीर में पुर्नवास हो।' इस डर की एक वजह यह भी है कि अगर लोग वापस आएंगे तो स्थानीय लोगों के लिए मौके घटेंगे। और उनकी अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी घटेगी।
44167 परिवार ने कराया रजिस्ट्रेशन
17 मार्च 2021 को गृह राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी द्वारा राज्य सभा में दिए गए बयान के अनुसार 44,167 कश्मीरी प्रवासी परिवार रजिस्टर्ड हैं। जिन्हें 1990 में घाटी से पलायन करना पड़ा था। इनमें से हिंदू प्रवासी परिवारों की संख्या 39,782 है। इसी तरह युवाओं के पुर्नस्थापना के लिए शुरू किए पीएम पैकेज के तहत नौकरी के लिए लगभग 3800 प्रवासी युवा कश्मीर लौट चुके हैं। इसके अलावा अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पुनर्वास पैकेज के तहत नौकरी के लिए 520 प्रवासी उम्मीदवार कश्मीर लौट चुके हैं। ऐसी उम्मीद है कि 2021 में लगभग 2,000 अन्य प्रवासी उम्मीदवार भी लौट जाएंगे।
9 को मिली प्रॉपर्टी
11 अगस्त को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि जम्मू कश्मीर विस्थापित अचल संपत्ति (संरक्षण, सुरक्षा एवं मजबूरी में बिक्री का निषेध) कानून 1997 के तहत 9 लोगों को प्रॉपर्टी दी जा चुकी है। इसके अलावा ऑनलाइन पोर्टल के ट्रॉयल के समय 854 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। कानून के तहत राज्य के संबंधित जिलों के जिलाधीश विस्थापितों की अचल संपत्ति के कानूनी संरक्षक होते हैं। और अतिक्रमण होने की स्थिति में संपत्तियों को खाली करवाने के लिए खुद कार्रवाई कर सकते हैं।
आतंकियों का संदेश कश्मीर छोड़कर जाए लोग
रविवार रात जम्मू और कश्मीर के कुलगाम जिले के वानपोह इलाके में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने ली है। सोशल मीडिया पर जारी बयान में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोग लौट जाएं । जाहिर है आतंकी सरकार की कोशिशों को नाकाम करना चाहते हैं, और ऐसे हमले से लोगों में खौफ पैदा करना चाहते हैं। जिससे कि न केवल गैर कश्मीरी, राज्य को छोड़कर चले जाएं बल्कि घर वापसी की आस लगाएं कश्मीरियों की उम्मीदों को भी झटका देना चाहते हैं।
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