श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के 6 महीने बाद केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के उद्देश्य से 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल बुधवार को श्रीनगर पहुंचा। राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केन्द्र सरकार ने किया है। ये राजनयिक यहां एक होटल में ठहरे हैं और बुधवार को वे प्रसिद्ध डल झील में शिकारा के लिए भी गये।
इससे पहले सरकार ने 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू कश्मीर के दौरे पर भेजा था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि राजनयिकों का यह दल केंद्र शासित प्रदेश के दौरे के दौरान नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, युवाओं, राजनेताओं एवं स्थानीय व्यवसायियों से मुलाकात करेगा। जम्मू कश्मीर प्रदेश के पुनर्गठन की घोषणा और इससे विशेष दर्जा वापस लेने की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार ने लोगों की आवाजाही, मोबाइल, टेलीफोन एवं इंटरनेट संपर्क पर रोक लगा दी थी, जिससे उसे विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था।
इस दल में अफगानिस्तान, आस्ट्रिया, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन रिपब्लिक, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनिया गणराज्य, हंगरी, इटली एवं केन्या राजदूत शामिल हैं। इसके अलावा किर्गिस्तान, मेक्सिको, नामिबिया, द नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाकिया, तजाकिस्तान, यूगांडा एवं उज्बेकिस्तान के राजदूत भी इस जत्थे के हिस्से के रूप में कश्मीर गये हैं।
विदेशी राजनयिकों के दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा ‘उम्मीद है कि पांच अगस्त से इंटरनेट संपर्क पर प्रतिबंध के बारे में विदेशी राजनयिक भारत सरकार से सवाल करेंगे। सरकार ने कश्मीर में स्थानीय मीडिया पर पाबंदी लगा दी है। मेरी मां महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला - के खिलाफ लोसुका लगाया गया है।
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