नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देशभर में जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच देश के गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि जिस किसी को भी इस कानून में किए गए संशोधन को लेकर आपत्ति है, वह उनसे बात कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई इसके लिए उनके पास पहुंचता है तो वह अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच तीन दिन के भीतर उसे बातचीत के लिए समय देंगे।
अमित शाह टाइम्स नाउ समिट में बोल रहे थे, जब एक सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि वह सीएए का विरोध करने वालों से बातचीत के लिए तैयार हैं,पर यह भी देखना होगा कि कानून में संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों का आयोजन कौन कर रहा है और यह किस स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून का विरोध केवल बीजेपी विरोध के नाम पर हो रहा है और उन्हें आज तक कोई ऐसा नहीं मिला, जो यह समझा सके कि नागरिकता कानून में किया गया संशोधन किस तरह इस देश के मुसलमानों के खिलाफ है।
इस दौरान देश के गृह मंत्री ने दिल्ली के शाहीन बाग का भी नाम लिया, जहां सीएए के खिलाफ पिछले लगातार दो महीने से प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में जो प्रदर्शन हो रहा है वह लोकतांत्रिक नहीं है। हालांकि हर किसी को को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है और शाहीन बाग के लोगों को भी यह हक है, ठीक इसी तरह हमारे पास भी अधिकार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी शाहीन बाग का मुद्दा उठाती रहेगी।
शाह ने कांग्रेस पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस और जनता पार्टी की सरकारें हिन्दुओं और सिखों को लंबी अवधि का वीजा दे चुकी है, जिसकी शुरुआत मार्च 1964 में ही हो चुकी है। यही काम अगर कांग्रेस करती है तो वह धर्मनिरपेक्ष होती है और बीजेपी की सरकार कानून बनाती है तो वह गलत हो जाता है। साफ है यह विरोध-प्रदर्शन बीजेपी विरोध के नाम पर हो रहा है, वरना सिर्फ आशंका की वजह से इस तरह आंदोलन नहीं होता।
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