Today in History: 1974 में भारत में कुछ ऐसा हुआ कि दुनिया रह गई दंग, जानें 18 मई 1974 का इतिहास

देश
ललित राय
Updated May 18, 2020 | 13:00 IST

18 may first atomic test: जब तक गगन में तारे और सितारे रहेंगे तब तक 18 मई 1974 का दिन याद किया जाएगा। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा कार्यक्रम के तहत भारत ने परमाणु परीक्षण किया था।

Today in History: 1974 में भारत में कुछ ऐसा हुआ कि दुनिया रह गई दंग, जानें 18 मई 1974 का इतिहास
18 मई 1974 को किया गया था पहला परमाणु परीक्षण 
मुख्य बातें
  • 18 अप्रैल 1974 को भारत ने पोखरण में किया था पहला परमाणु परीक्षण
  • तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी बोलीं- बुद्धा मुस्कुराए, ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा का दिया गया था नाम
  • परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया भारत

नई दिल्ली। 19वीं शताब्दी के आठवें दशक की शुरुआत हो चुकी थी। यह दशक कई कामयाबियों, नाकामियों का गवाह बना। दरअसल यह किसे पता था कि 1965 की लड़ाई में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान एक बार भारत को चुनौती देगा जिसमें उसका एक हिस्सा हमेशा हमेशा के लिए अलग हो जाएगा। इतिहास के पन्नों में शायद पाकिस्तान की नाकामी का एक और अध्याय अंकित होना था और वैसा ही कुछ हुआ।

1974 में भारत ने किया था पहला परमाणु परीक्षण
1971 की इस ऐतिहासिक घटना के बाद भारत एक और ऐतिहासिक कामयाबी को दर्ज करने की तैयारी में था तो दुनिया का आश्चर्यचकित होना भी स्वाभाविक था। राजस्थान स्थित पोखरण में भारतीय मेधा ने एक ऐसा परीक्षण किया जिसके बाद साफ हो गया कि जिस छोटे से एटम के बल पर अमेरिका, रूस चीन जैसे देश पूरी दुनिया को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं वो टूट चुका था। भारत भी परमाणु परीक्षण करने वालों देशों की सूची में शामिल हो गया और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने कहा कि बुद्धा मुस्कुराए। 

1972 में जमीन हो चुकी थी तैयार
1974 में पोखरण एटॉमिक टेस्ट की जमीन 1972 में ही तैयार की गई। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का दौरा किया था और एक तरह से इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने की सहमति दे दी। जानकार बताते हैं कि 1971 की भारत पाक लड़ाई के बाद इंदिरा गांधी को यह बात समझ में आई कि अमेरिका और चीन को संदेश देना जरूरी है कि भारत किसी दूसरे देश का पिछलग्गू नहीं रहेगा। जहां तक रूस का सवाल था तो उस समय उसकी भूमिका सहयोगी देश के तौर पर थी। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक समीकरण में भारत ने खुद को स्थापित किया। 1974 के टेस्ट के बाद अमेरिका का भ्रम टूट गया कि भारत की नेतृत्व कोई गुड़िया नहीं कर रही है बल्कि कमान आयरन लेडी के हाथों में है। 

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