नई दिल्ली। 19वीं शताब्दी के आठवें दशक की शुरुआत हो चुकी थी। यह दशक कई कामयाबियों, नाकामियों का गवाह बना। दरअसल यह किसे पता था कि 1965 की लड़ाई में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान एक बार भारत को चुनौती देगा जिसमें उसका एक हिस्सा हमेशा हमेशा के लिए अलग हो जाएगा। इतिहास के पन्नों में शायद पाकिस्तान की नाकामी का एक और अध्याय अंकित होना था और वैसा ही कुछ हुआ।
1974 में भारत ने किया था पहला परमाणु परीक्षण
1971 की इस ऐतिहासिक घटना के बाद भारत एक और ऐतिहासिक कामयाबी को दर्ज करने की तैयारी में था तो दुनिया का आश्चर्यचकित होना भी स्वाभाविक था। राजस्थान स्थित पोखरण में भारतीय मेधा ने एक ऐसा परीक्षण किया जिसके बाद साफ हो गया कि जिस छोटे से एटम के बल पर अमेरिका, रूस चीन जैसे देश पूरी दुनिया को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं वो टूट चुका था। भारत भी परमाणु परीक्षण करने वालों देशों की सूची में शामिल हो गया और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने कहा कि बुद्धा मुस्कुराए।
1972 में जमीन हो चुकी थी तैयार
1974 में पोखरण एटॉमिक टेस्ट की जमीन 1972 में ही तैयार की गई। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का दौरा किया था और एक तरह से इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने की सहमति दे दी। जानकार बताते हैं कि 1971 की भारत पाक लड़ाई के बाद इंदिरा गांधी को यह बात समझ में आई कि अमेरिका और चीन को संदेश देना जरूरी है कि भारत किसी दूसरे देश का पिछलग्गू नहीं रहेगा। जहां तक रूस का सवाल था तो उस समय उसकी भूमिका सहयोगी देश के तौर पर थी। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक समीकरण में भारत ने खुद को स्थापित किया। 1974 के टेस्ट के बाद अमेरिका का भ्रम टूट गया कि भारत की नेतृत्व कोई गुड़िया नहीं कर रही है बल्कि कमान आयरन लेडी के हाथों में है।
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