पंजाब विधानसभा में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के भाषण के दौरान हंगामा हो गया। नवजोत सिंह सिद्धू समर्थक नेताओं और अकाली दल के नेता आपस में भिड़ गए। बात इतनी बढ़ी कि नौबत हाथापाई की आ गई। अब इस विषय पर दोनों पक्ष अपनी अपनी बात के जरिए यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं गलती किसकी थी या कौन हताश है।
चुनाव से पहले विपक्ष हताश
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि विधानसभा में हुआ हंगामा सुनियोजित था जो विपक्ष के डर को जाहिर करता है। पंजाब में चन्नी सरकार लोगों के लिए काम कर रही है। जो भी कुछ ऐलान किए गए हैं वो आने वाले 2 या 3 महीने के लिए नहीं है बल्कि अगले पांच वर्ष के लिए है। उन्होंने कहा कि बवाल कौन करता है जिसको पता है कि उसे कुछ हासिल नहीं होने जा रहा है। आने वाले चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है और उसकी वजह से विपक्ष के नेता पहले ही हताश हो चुके हैं।
विधानसभा में गरमागरम बहस
पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने के केंद्र सरकार के फैसले को खारिज करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि अकाली दल का चरित्र क्या है, हर काम में रोड़े अटकाना। अकालियों को जब पंजाब की जनता ने राज करने के लिए 15 वर्ष का मौका दिया तो उन्होंने क्या किया। विधानसभा में वे लोग जो इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी होती।
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