Shri Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में शाही ईदगाह और जहां आरा की मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से सर्वे कराने के आवेदन और इस मुकदमे में यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्तियों पर सुनवाई कर तीन महीने में फैसला करने का मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) को निर्देश दिया है।
सोमवार (18 जुलाई, 2022) को इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर वकील आदिश अग्रवाल और शशांक सिंह ने कहा- शाही ईदगाह और जहां आरा की मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे कराने के लिए 14 अप्रैल, 2021 को मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में एक आवेदन दाखिल किया गया, लेकिन आज तक इस आवेदन पर निचली अदालत की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं को मौजूदा याचिका दायर कर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। दरअसल, भगवान श्री कृष्ण विराजमान और तीन अन्य लोगों की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित ने यह आदेश पारित किया।
क्या है पूरा मामला?
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सहमति से मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति की तरफ से किए गए अतिक्रमण और अवैध रूप से खड़ा किए गए ढांचे को हटाने के लिए 19 फरवरी, 2021 को भगवान श्री कृष्ण की ओर से मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड शीर्षक से एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया था।
मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मस्थल से सटे हुए स्थान पर एक मंदिर ध्वस्त किए जाने के बाद बनाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि यह वही जगह है, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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