आपदाकाल में किसानों व जरूरतमंदों की उम्मीद की किरण योगी आदित्यनाथ

देश
Updated Apr 30, 2020 | 19:20 IST | महेंद्र कुमार सिंह

खेतों में खड़ी रबी की फसल की कटाई की व्‍यवस्‍था करने से लेकर गन्‍ने की पेराई का इंतजाम करने तक, मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ इन फैसलों से किसानों के लिए उम्‍मीद की किरण बने।

Yogi Adityanath CM Uttar Pradesh
Yogi Adityanath CM Uttar Pradesh 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता आज बुलंदी पर है, यह उनके घोर विरोधी भी मान रहे हैं। शहर हो या गांव, अमीर हो या गरीब, कामगार हो या किसान, महिला हो या पुरुष सबके बीच योगी किसी न किसी ख़ास वजह से चर्चा में ज़रूर रहते हैं। इसकी वजह भी है और उसका अंदाज़ लगाना कोई कठिन काम भी नहीं है। कोरोना के संकट से देश को बचाने के लिए लागू किये गये लॉक डाउन के दौरान उनकी पहुंच हर वर्ग और हर दरवाजे तक बनी। हर ज़रूरतमंद के लिए उम्मीद की बस एक ही किरण थी और वो थे योगी और उन्होंने किसी को निराश भी नहीं होने दिया। 

बतौर मुख्यमंत्री, नाथ पंथ के साधक योगी का साध्य तो केवल था, मानव सेवा, जन सेवा या यों कह लें कि सब ओर से लोक कल्याण। यह साध्य संकट की घड़ी में सार्थक मालूम भी पड़ा। वक़्त और हालात के पैमाने पर ज़रा उत्तर प्रदेश के उन किसानों की सोचिए। जिस समय मुल्क में कोरोना का कहर बरप रहा था, उस वक़्त उनके गाढ़े खून पसीने और मेहनत से खेतों में खड़ी रबी की फसल कटाई के इंतज़ार में थी और वहीं दूसरी तरफ गन्ने की पेराई भी जारी थी। 

बताते चलें कि कृषि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में सर्वथा अग्रणी राज्यों में शुमार रहा है और यह सूबे की आबादी के करीब 59% लोगों को कृषि से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार देता है। इस संकट की घड़ी में योगी के सामने कृषि क्षेत्र को लेकर दो बड़ी चुनौतियां थीं जिनमें पहली खेतों में खड़ी फसलों की समय पर कटाई और दूसरी गन्ने की मिलों तक की यात्रा पूरी होना था। इसके साथ साथ एक और बड़ी चुनौती यह थी कि छोटे किसानों और कामगारों को उनके घर पर या यों कहें कि गांव में ही खाने का इंतजाम करना। इस दृष्टि से योगी आदित्यनाथ ने इस आपदाकाल में जो प्रयास किए उसका उल्लेख ज़रूरी है। तथ्य हमेशा सच बोलते हैं।

- प्रदेश में स्थापित 5550 क्रय केन्द्र के माध्यम से लगभग 51.90 लाख कुन्तल गेहूं की खरीद की जा चुकी है।
- गन्ना पेराई सत्र 2019-20 में अब तक लगभग 16,827 करोड़ रूपए का गन्ना मूल्य का भुगतान सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
- प्रदेश में प्रचलित कुल 3,55,27,928 राशन कार्डो के सापेक्ष लगभग 3,31,42,167 कार्डो पर खाद्यान्न का निर्बाध एवं निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। 

इसके अलावा कुछ आउट ऑफ बॉक्स उपायों की ओर भी ध्यान देना चाहिए कि सूबे में बिना किसी कार्ड या बेवजह की सरकारी औपचारिकता के भी गरीबों और जरूरतमन्दों को राशन दिया जा रहा है। पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के 30 जून तक सार्वभौमिकरण की प्रक्रिया शुरू करने का लक्ष्य संकल्पित कर लिया गया है। किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान के बदले चीनी लेने का विकल्प तय हुआ और गन्ना उद्योग में लगी फैक्ट्रीज से सैनिटाइजर बनवाने की योजना शुरू हुई। 

कैसे हुआ यह संभव

इन आंकड़ों को गहराई से देखें तो हर बिंदु पर मेहनत और लगनशीलता की दृढ़ प्रतिबद्धता नज़र आती है। इन आंकड़ों में छिपी योगी की सफलता और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता नज़र आ रही है।  बड़ा सवाल उठता है कि आखिर ऐसा कैसे संभव हुआ? इसका जवाब यह है कि योगी ने समय समय पर एक विज़नरी लीडर की तरह नीतियों में बदलाव किया, उन्हें कागज़ी से ज़मीनी बनाया और ये सुनिश्चित किया कि लॉक डाउन के दौरान ही तय समय में सारे एहतियात के साथ सभी कृषि कार्य सम्पन्न हो जाएं।

पालनहार योगी

सबसे पहले यूपी के मुख्यमंत्री ने गरीबों, मज़लूमों और ज़रूरतमन्दों को राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। गत 31 मार्च को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केन्द्र सरकार के मार्गनिर्देशों के अनुसार खाद्यान्नों के परिवहन की अनुमति प्रदान कर दी और इसके लिए खास तौर पर नोडल अधिकारी तैनात कर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए राशन का वितरण शुरू करने का निर्देश दिया। राशन वितरण स्थलों पर सेनीटाइजर और संक्रमण से सुरक्षा के उपायों आदि की व्यवस्था अनिवार्य कर दी गई।
इसका नतीजा यह रहा कि 01 अप्रैल से राज्य के सभी इलाकों में ज़रूरतमन्दों को खाद्यान्न वितरण का अभियान प्रारम्भ हो गया। पहले दिन शाम 06 बजे तक लगभग 02 करोड़ 18 लाख लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध करा दिया गया था। कुल वितरित खाद्यान्न में से 65.23 प्रतिशत लाभार्थियों को निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया। निःशुल्क खाद्यान्न वितरण से लगभग 1.17 करोड़ गरीब और मजदूर लाभान्वित हुए और ये सिलसिला लगातार जारी है।

अन्नदाता को ना हो दिक्कत

27 मार्च को ही यूपी के 2.34 करोड़ किसानों को लॉकडाउन से राहत देते हुए उत्तर प्रदेश के मुखिया ने रबी फसलों की कटाई में इस्तेमाल होने वाली मशीनों जैसे कम्बाईन, हरवेस्टर समेत दूसरे उपकरणों को लॉक डाउन से छूट दे दी और साथ ही साथ खाद बीज की दुकानों को भी खुले रखने का आदेश जारी किया। कंबाइन समेत कृषि यंत्रों की खराबी को दूर करने के लिए मैकेनिक एवं ऑटो पार्ट्स की दुकानों को भी लॉक डाउन के दौरान खुले रखने का आदेश जारी हुआ और समस्त ज़िला प्रशासन को निर्देश दिया गया कि फसल कटाई के काम में लगे किसानों को आवागमन में किसी तरह की असुविधा नहीं हो। फसलों की खरीद के लिये मंडी की व्यवस्था को भी सुचारू रूप से चलाने का निर्देश दिया गया और संभाव्यता के अनुरूप खेत से ही फसल की खरीद न्यूनतम मूल्य पर करने की व्यवस्था बनाने का आदेश जारी हुआ।

मुफ्त जुताई और बुवाई की व्‍यवस्‍था

योगी ने प्रशासन को निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसानों को हार्वेस्टिंग और आवागमन में कोई असुविधा न होने पाए इसकी व्यवस्था सुनिश्चित हो। प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों को राहत देने के लिए योगी सरकार ने ट्रैक्टरों से मुफ्त में खेतों की जुताई और बुवाई कराने का निर्णय लिया। पहले चरण में ये योजना लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर समेत 16 जिलों में लागू की गयी है। लॉकडाउन की वजह से किसानों को दो महीने तक मुफ्त में जुताई और बुवाई की सुविधा मिलेगी। योगी कितने सफल रहे ये तो समय बतायेगा, लेकिन ये तय है कि वो अलग हट कर सोच रहे, अपने संघर्षों के अनुभव से वे बतौर सन्यासी खतरनाक वायरस से मानवता को बचाने के लिए तल्लीनता से लड़ रहे हैं।

यह मौसम खेत से गेहूं और तिलहन जैसी फसलों की कटाई है। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते किसान भी अपने घरों से निकल नहीं रहे हैं, जिसके चलते पूरे देश में किसान खेतों की फसल की कटाई और बुआई की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें काफी दिक्कतें आ रहीं थीं जिसकी वजह से किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ा रहा था। लेकिन उनकी इस समस्या को बेहद गंभीरता से लेते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 34 सौ करोड़ रुपये की किस्त उत्तर प्रदेश के 1 करोड़ 70 लाख किसानों के बैंक खातों में तत्काल भेज दी है। अब प्रदेश के किसानों को केवल तसल्ली ही नहीं बल्कि आत्मविश्वास भी हासिल हुआ है।

जज़्बे से भरे योद्धा योगी

योगी खुद एक किसान रहे हैं और अपने राजनीतिक जीवयात्रा में एक अनुभवी सोशल एक्टिविस्ट रहे हैं। इन सब से बढ़ कर जमीन की सुध रखने वाले पांच बार के सांसद भी रहे हैं। बड़ी बात ये है कि प्रदेश में लोकल्याण के ये आश्चर्यजनक काम तब सम्भव हो रहे हैं जब वे तीन साल पहले शासन में आये थे और उनको विरासत में एक ऐसा सरकारी तंत्र मिला था जो अक्षम था, सरकारी ढांचा चरमरा सा गया था और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की हालत गंभीर थी।

उनके सामने एक और बड़ी चुनौती थी और वह थी देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य की आबादी (तकरीबन 23 करोड़ की आबादी जो कई यूरोपीय देशों की आबादी से ज्यादा है।) को घरों में रखना और उनको सारी ज़रूरत की सामग्रियां और अनिवार्य सेवाएं मुहैया करवाना। वक़्त और हालात भले कितने क्रूर क्यों न हो जाएं, योद्धा योगी का जज़्बे से भरा नेतृत्व और प्रदेश के कोरोनावारियर्स की हौसले से भरी पूरी फ़ौज आज इस बड़ी चुनौती को भी परास्त करने के मुकाम पर है। 

(लेखक महेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं और वर्तमान में गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।)

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