Yogi Adityanath: पीठ से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक योगी आदित्यनाथ को सदैव रही जल, जंगल जमीन की चिंता

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Updated Jun 05, 2021 | 20:47 IST | IANS

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च, 2017 को प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विजय के बाद यूपी के मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ ने 1998 से 2017 तक बीजेपी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

Yogi Adityanath
योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री 

लखनऊ: अध्यात्म से देश के सबसे बड़े सूबे के सियासी गलियारे में अपनी धाक जमाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल अपनी प्रशासनिक कार्यकुशलता और फैसलों के लिए जाने जाते हैं बल्कि उनका जुड़ाव पर्यावरण के प्रति भी काफी दिखता है। गोरखनाथ पीठ पीठाधीश्वर संभालते ही उन्होंने उसे पॉलीथीन मुक्त कर दिया और हरा-भरा बनाया। अब मुख्यमंत्री बनने के बाद वह जल जंगल जमीन पर और बड़े स्तर पर कार्य कर रहे हैं और यह संयोग है कि पर्यावरण के प्रति सचेत योगी का जन्मदिन भी विश्व पर्यावरण दिवस पर पड़ता है।

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित उत्तर भारत की प्रमुख पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। इस पीठ की मान्यता नाथ संप्रदाय के मुख्यालय के रूप में है। मूल रूप से प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड से ताल्लुक और पिता का वन विभाग से रिश्ता होने के नाते प्रकृति (जल,जंगल और जमीन) से प्रेम उनको विरासत में मिला है।

'गोरखपुर के सांसद, पीठ के उत्तराधिकारी और पीठाधीश्वर रहे'

करीब ढाई दशकों से गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी को कवर करने वाले पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं, 'मुख्यमंत्री बनने के बाद वह हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण करते हैं। गोरखपुर के जिस गोरक्षनाथ पीठ के वह पीठाधीश्वर हैं उसके 50 एकड़ से अधिक विस्तृत परिसर की लकदक हरियाली, पूरी तरह पॉलिथीन मुक्त परिसर, गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट (केचुआ खाद की यूनिट) बारिश की पानी के हर बूंद को सहेजने के लिए आधुनिक सोखता (टैंक) और चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की इकाई इसका सबूत है। इसमें से अगरबत्ती की इकाई को छोड़ दे तो प्रकृति संरक्षण के ये सारे काम तबके हैं ,जब वह गोरखपुर के सांसद, पीठ के उत्तराधिकारी और पीठाधीश्वर रहे।'

मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जल, जंगल, जमीन से लगाव का यह सिलसिला जारी है। प्रदेश प्रदूषण मुक्त हो। हरियाली की चादर और बढ़े इसके लिए मुख्यमंत्री बनने के साथ ही हर साल जून-जुलाई में आयोजित होने वाले वन महोत्सव में होने वाले पौध रोपण का रिकॉर्ड लक्ष्य रखा। हर अगले साल अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा भी। इस क्रम में ,2018-19 में 11 करोड़, 2019-20 में 20 करोड़, 2020-21 में 25 करोड़ पौधे लगाए गए। 2021-22 में 30 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य है।

पांडेय ने बताया, 'पौध रोपण का यह कार्यक्रम जन आंदोलन बने इसके लिए प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेटिक जोन)की अनुकूलता के अनुसार संबंधित क्षेत्र में उन्हीं पौधों की नर्सरी तैयार करा कर लोगों को पौध उपलब्ध कराए गए।' 

'गंगा तालाब योजना पर भी काम चल रहा'

पर्यावरण संरक्षण में जल संरक्षण की भूमिका के मद्देनजर उनके कार्यकाल में बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में खेत तालाब योजना के तहत बड़ी संख्या में तालाब खुदवाए गए। अपने इस योजना को और विस्तार देते हुए गंगा के किनारे बड़े पैमाने पर गंगा तालाब योजना पर भी काम चल रहा है। पांडेय कहते हैं कि कम पानी में अधिकतम सिंचाई हो इसके लिए सरकार सिंचाई की अपेक्षाकृत दक्ष विधा, स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन पर 90 फीसद तक अनुदान दे रही है। बुंदेलखंड की कुछ सिंचाई परियोजनाओं को मॉडल के तौर पर स्प्रिंकलर और ड्रिप से भी जोड़ा गया है। 

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च, 2017 को प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विजय के बाद यूपी के मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। वह लगातार पांच बार लोकसभा सांसद रहे हैं।

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