नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को पत्र लिखते हुए कहा है कि उनके उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें उन्होंने प्रवासियों के लिए 1000 बसों को तैनात करने अनुमति मांगी थी। इसमें बिना देर किए 1000 बसों और ड्राइवरों का विवरण मांगा गया है।
प्रियंका गांधी के निजी सचिव को लिखते हुए कहा गया है, 'कृपया माननीय मुख्यमंत्री जी को संबोधित श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के पत्र दिनांक 16 मई, 2020 का संदर्भ लेने का कष्ट करें। इस संबंध में आपसे य कहना है कि प्रवासी मजदूरों के संदर्भ में आपके प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है। अतएव अविलंब एक हजार बसों की सूची चालक/परिचालक का नाम व अन्य विवरण सहित उपलब्ध कराने का कष्ट करें, जिससे इनका उपयोग प्रवासी श्रमिकों की सेवा में किया जा सके।'
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय की तरफ से कांग्रेस और प्रियंका गांधी पर निशाने साधते हुए 4 सवाल किए गए। ट्वीट कर कहा गया, 'मजदूरों की मददगार बनने का स्वांग रच रही कांग्रेस से मजदूर भाइयों और बहनों के कुछ सवाल:'
सवाल 1- जब आपके पास 1000 बसें थीं, तो राजस्थान और महाराष्ट्र से ट्रकों में भरकर हमारे साथियों को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व बंगाल क्यों भेज रहे हैं?
सवाल 2- औरैया में हुई दर्दनाक सड़क दुर्घटना से पूरा देश आहत है। एक ट्रक पंजाब से और दूसरा राजस्थान से आ रहा था। क्या कांग्रेस और प्रियंका गांधी जी इस दुर्घटना की जिम्मेदारी लेंगी? हमारे साथियों से माफी मांगेंगी?
सवाल 3- प्रियंका गांधी जी कहती हैं कि उनके पास 1000 बसें हैं। यह और बात है कि अब तक इन बसों की सूची तक उपलब्ध नहीं कराई गई, न ही हमारे साथियों की। बसों और हमारे साथियों की सूची उपलब्ध करा दी जाए, जिससे उनके कार्य ट्विटर नहीं धरातल पर दिखें।
सवाल 4- देशभर में जितनी भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही है उनमें से आधी से ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश ही आईं है। अगर प्रियंका वाड्रा जी को हमारी इतनी ही चिंता है तो वो हमारे बाकी साथियों को भी ट्रेनों से ही सुरक्षित भेजने का इंतजाम कांग्रेस शासित राज्यों से क्यों नहीं करा रहीं?
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार श्रमिकों की मदद करने और उनके लिए किसी की सहायता लेने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने गाजियाबाद में श्रमिकों की भीड़ से जुड़ा एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'प्रवासी मजदूर भारी संख्या में घर जाने के लिए गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जुटे हैं। उप्र सरकार से कोई व्यवस्था ढंग से नहीं हो पाती। यदि एक महीने पहले इसी व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जाता तो श्रमिकों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।'
उन्होंने दावा किया, 'कल हमने 1000 बसों का सहयोग देने की बात की, बसों को उप्र बॉर्डर पर लाकर खड़ा किया तो उप्र सरकार को राजनीति सूझती रही और हमें अनुमति तक नहीं दी। विपदा के मारे लोगों को कोई सहूलियत देने के लिए सरकार न तो तैयार है और कोई मदद दे तो उसे लेने से इंकार कर रही है।'
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