नई दिल्ली: पाकिस्तान के दोस्त तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में आम चर्चा में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। तुर्की की राष्ट्रपति रिसप तैयब एर्दोआन ने अपने रिकॉर्डेड संदेश में जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा था कि कश्मीर का मुद्दा, ‘जो दक्षिण एशिया की स्थिरता और शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है, वह अब भी एक ज्वलंत मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।’ अब तुर्की के इस बयान के बहाने विश्व हिंदू परिषद ने आमिर को निशाने पर लिया है।
विनोद बंसल का ट्वीट
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने ट्वीट करते हुए कहा कि आमिर खान और उनकी डरी हुई पत्नी आज बहुत खुश हो रहे होंगे। उन्होंने कहा, 'कुछ दिनों पूर्व भारत के एक सुप्रसिध्द अभिनेता आमिर खान और उनकी डरी हुई पत्नी टर्की की प्रथम महिला राजमाता से मिलकर बेहद आनन्दित हो रहे थे। अब उन्हीं के शौहर की भारत विरोधी जिहादी करतूतों पर वे दोनों कैसा महसूस कर रहे हैं, जरा देश को बताएं। महान' अभिनेता आमिर खान की तुर्की यात्रा के समर्थकों को भी टर्की के राष्ट्रपति के भारत विरोधी जिहादी मीठे बोलों पर भी तो अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करना ही चाहिए! क्या वे अपने स्टार मित्र के इन बोलों पर कुछ भी नहीं बोलेंगे?'
क्यों निशाने पर आए आमिर
दरअसल कुछ दिन पहले अपनी फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' की शूटिंग के दौरान आमिर खान ने एर्दोआन की पत्नी एमिने एर्दोआन से मुलाकात की थी जिसे लेकर भारत में काफी बवाब मचा था। इसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर आमिर खान से तरह-तरह के सवाल पूछे थे। दरअसल तुर्की पिछले काफी समय से पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए कश्मीर पर भारत विरोधी बयान दे रहा है।
भारत ने की तुर्की के बयान की आलोचना
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय चर्चा में जम्मू-कश्मीर पर की गई तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की टिप्पणियों को ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ बताया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘हमनें भारत के केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियां सुनी। वे भारत के आंतरिक मामलों में व्यापक हस्तक्षेप करने वाली हैं और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। तुर्की को अन्य देशों की सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए और अपनी खुद की नीतियों पर गहराई से विचार करना चाहिए।’
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