विशाखापट्टनम : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के एक रासायनिक संयंत्र से जहरीली गैस का रिसाव हुआ है, जिसके बाद यहां 8 लोगों की जान चली गई है, जबकि 800 से अधिक लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। यह घटना विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम गांव में स्थित एक फार्मा कंपनी एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री के रासायनिक संयंत्र में हुई है। यहां जिस जहरीली गैस का रिसाव हुआ है, उसका नाम स्टाइरीन बताया गया है, जिसके प्रभाव में आने के बाद लोगों ने आखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने जैसी शिकायतें की हैं।
क्या है स्टाइरीन गैस?
आखिर क्या है स्टाइरीन गैस और क्या है इसका उपयोग? स्टाइरीन एक रंगहीन तरल पदार्थ है, जो हवा के संपर्क में आने के बाद गैस बनकर फैलने लगता है। इसका इस्तेमाल आम तौर पर पैकेजिंग मटेरियल, इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन, घरों में इंसुलेशन, फाइबर ग्लास, प्लास्टिक पाइप्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, चाय के कप, कालीन आदि बनाने में होता है। लेकिन इन चीजों के लिए यह जिनता कारगर है, इंसानों के लिए इसके सीधे संपर्क में आना उतना ही खतरनाक भी है।
कितना खतरनाक है यह गैस?
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह गैस सीधे संपर्क में आने पर लोगों के दिमाग और रीढ़ पर असर करती है। बाहरी वातावरण में आने के बाद यह आसानी से हवा के साथ मिल जाती है, जिससे हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है। इस तरह इसके संपर्क में आने वालों के फेफड़ों पर भी बुरा असर होता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं, जैसा कि इस हादसे के बाद भी लोगों ने शिकायतें की हैं। यहां तक कि इससे कैंसर का खतरा भी पैदा हो सकता है। आखों में परेशानी के साथ-साथ इससे सुनने में भी दिक्कतें आ सकती हैं।
मिनटों में जा सकती है जान
डॉक्टर्स का कहना है कि यह गैस इतनी खतरनाक है कि 10 मिनट के भीतर प्रभावित शख्स की जान जा सकती है। इसे एक न्यूरो टॉक्सिन गैस बताया जाता है, जो सीधे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है और लोग सांस लेने में तकलीफ के साथ गश खाकर गिर सकते हैं। विशाखापट्टनम में हुए इस हादसे के बाद भी सैकड़ों लोग इधर-उधर भागते और गिरते-पड़ते नजर आए हैं।
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