नई दिल्ली : महात्मा गांधी ने द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले और उसके दौरान एडोल्फ हिटलर समेत वैश्विक नेताओं को कई पत्र भेजकर शांति की जोरदार अपील की थी। एक पत्र तो उन्होंने जर्मनी द्वारा पोलैंड पर एक सितंबर, 1939 को आक्रमण करने से आठ दिन पहले हिटलर को लिखा था। साहित्य प्रेमी गांधी के पत्रों से अहिंसा में उनके दृढ़ विश्वास, उनके दर्शन और राजनीति के मूल तत्व तथा भारत की आजादी पर उनके दृष्टिकोण का पता चलता है।
उन्होंने 'दुनिया में ऐसा व्यक्ति जो लड़ाई रोक सकता है, हिटलर के साथ-साथ चीन के जनरल च्यांग काई शेक से संपर्क किया तथा जापानियों, अमेरिकियों और ब्रिटिश को खुली चिट्ठियां लिखीं। गांधी ने 23 अगस्त, 1939 को 'प्रिय मित्र' हिटलर को महाराष्ट्र के अपने वर्धा आश्रम से पत्र लिखा और कहा कि लोग 'मानवता की खातिर' हिटलर को पत्र लिखने की अपील कर रहे थे। गांधी लिखते हैं कि उन्होंने इस अनुरोध का विरोध किया, क्योंकि हिटलर को कोई पत्र भेजना ढिठाई होती।
उन्होंने पत्र में लिखा है, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आज आप दुनिया में एक ऐसे व्यक्ति हैं जो लड़ाई रोक सकता है, क्योंकि यह लड़ाई इंसान को हैवान बना सकती है। कोई भी वस्तु आपको कितनी ही बहुमूल्य लगे, आपको अवश्य ही उसकी कीमत चुकानी होगी। क्या आप एक ऐसे व्यक्ति की अपील सुनेंगे जिसने बिना किसी उल्लेखनीय सफलता के युद्ध के तरीके का परित्याग कर दिया है? यदि मैंने आपको लिखकर कोई ढिठाई की है तो मैं उम्मीद करता हूं कि आप माफ कर देंगे।'
वह अपना पत्र इन शब्दों 'मैं मोहनदास करमचंद गांधी आपका सच्चा मित्र बना रहूंगा।' एक सितंबर, 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया और उसने इतिहास का रुख बदल दिया। ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत संघ गठबंधन सेना का हिस्सा थे जबकि जर्मनी, इटली और जापान दूसरी तरफ थे। भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश भारत साम्राज्य के तहत लड़ाई में हिस्सा लिया था।
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