'Lockdown' को लेकर पशोपेश में देश के कई सूबे, उनके लिए ये भी 'जरुरी' वो भी 'अहम'

देश
रवि वैश्य
Updated May 12, 2020 | 14:04 IST

Lockdown Extension: लॉकडाउन बढ़े या ऐसा ना हो इसे लेकर राज्यों में इस बार मतभेद सामने आए हैं, कई राज्यों के लिए लोगों की सेहत अहम है तो कई राज्यों को खाली होते खजाने की चिंता भी जरुरी नजर आ रही है।

lockdown extension
कई राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में हामी भरी तो कई ने ये मसला राज्यों के जिम्मे छोड़ देने को कहा 

लॉकडाउन (Lockdown) एक्सटेंशन को लेकर सवाल हर आम ओ खास के जेहन में आ रहा है इस सवाल को लेकर जितनी उत्सुकता आम लोगों के मन में है उससे कहीं ज्यादा केंद्र सरकार के साथ कई राज्य सरकारों (State Government) के लिए ये बड़ा यक्ष प्रश्न बना हुआ है, 25 मार्च से शुरु होकर लॉकडाउन पहले 14 अप्रैल तक, फिर 3 मई तक और उसके बाद 17 मई तक बढ़ाया गया वह भी अब खत्म होने ही वाला है, अब बात लॉकडाउन-4 (Lockdown-4) की हो रही है।

इस बारे में केंद्र सरकार की मंशा की बात करें तो उसपर दोहरा दबाब नजर आ रहा है एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था है जो कोरोना महामारी से निपटने के लिए उठाए गए अहम कदम लॉकडाउन के पंजे में जकड़ी हुई है। देश में उत्पादन से लेकर सभी अहम सेक्टर पिछले कई दिनों से एकदम बेजान से पड़े हैं क्योंकि इस दौरान सभी कुछ ठप्प पड़ा है।

लॉकडाउन को बढ़ाया जाए या नहीं जो पहले ही परिस्थितियों को देखते हुए एक्सटेंड होती आ रही है, इसको लेकर पीएम मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से 11 मई को टेलीकांफ्रेसिंग मीटिंग की और राज्यों से उनकी इस विषय पर राय मांगी साथ ही बैठक में पीएम मोदी ने राज्यों की तारीफ करते हुए कहा कि लॉकडाउन पर जरूरत के हिसाब से फैसले बदलने पड़े हैं। 

इस बारे में कई राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में हामी भरी तो कई ने ये मसला राज्यों के जिम्मे छोड़ देने को कहा तो वहीं कुछ राज्य चाहते हैं कि बहुत हो गया लॉकडाउन अब इसे खोल देना चाहिए।

लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष और विपक्ष में ये हैं राज्यों के तर्क
तेलंगाना, बिहार, असम, राजस्थान,पंजाब, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में नहीं है- उनमें सबसे अहम बीजेपी शासिस राज्य गुजरात है जो लॉकडाउन को अब और बढ़ाना नहीं चाहता है, जबकि वहां कोरोना का प्रकोप खासा है वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ने केंद्र पर राजनीति का करने का आरोप लगाया।

देश के अहम सूबे उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएम से कहा कि आपके नेतृत्व में जो भी फैसला होगा उसे यूपी में लागू किया जाएगा वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जहां एक तरफ अंतरराज्यीय सप्लाई चेन को सुचारू रूप से बहाल करने की मांग की।

तेलंगाना के सीएम ने लॉकडाउन बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि पैसेंजर ट्रेन चलाने से कोरोना संक्रमण का खतरा है। केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें लॉकडाउन से संबंधित दिशा-निर्देशों में उचित बदलाव करने की स्वतंत्रता मिले। मध्य प्रदेश सीम सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रेड जोन और कंटेंनमेंट एरिया में लॉकडाउन जारी रहे, जबकि बाकी जगह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आर्थिक गतिविधियां शुरू होनी चाहिए।

वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी में हरियाणा अपना पूर्ण योगदान देगा,  महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ने कहा-मैं राज्य में केंद्रीय पुलिस की तैनाती के लिए आग्रह करता हूं, क्योंकि राज्य पुलिस बिना किसी आराम के काम कर रही है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा-उन्हें रेड, ग्रीन और ऑरेंज जो घोषित करने का अधिकार मिले।आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने का कहना है कि लॉकडाउन के नियमों में कुछ हद तक छूट देने की जरूरत है।

वहीं दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि कंटेंनमेंट जोन को छोड़कर पूरी दिल्ली में आर्थिक गतिविधियां शुरू होनी चाहिए, उन्होंने दिल्ली की जनता से 13 मई की शाम तक जनता के सुझाव मांगे हैं कि ढील कितनी और किन-किन क्षेत्रों में मिलनी चाहिए, लोग बताएं कि ढील कितनी दी जानी चाहिए उसी के आधार पर वो केंद्र को जवाब देंगे।

राज्यों में है खाली होते खजाने को लेकर चिंता
पीएम के साथ इस अहम बैठक में  सभी राज्यों ने खजाना खाली होने की बात कही, ये तर्क वाजिब भी नजर आता है क्योंकि लॉकडाउन में सारी आर्थिक गतिविधियां बंद है ऐसे में राज्य सरकारों के खजाने को खासी चोट पहुंची है वहीं तस्वीर का दूसरा रुख ये भी है कि कोरोना महामारी से निपटने में राज्यों का काफी पैसा लग रहा है, यानि राजस्व के स्रोत तो बंद हैं मगर खर्चा भरपूर हो रहा है।

जाहिर सी बात है कि ये स्थिति बर्दाश्त करने की कूवत अब राज्य सरकारों की खत्म सी होने लगी है और शायद ये भी एक बड़ी वजह है कि कई राज्य लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं बल्कि उनमें से कई स्टेट ने तो  तुरंत राहत पैकेज की मांग भी की है। पिछली बार जहां सभी मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ाने पर लगभग एकसुर में सहमति जताई थी वहीं, इस बार वो उनकी राय इस मुद्दे पर जुदा दिखी। 

पीएम मोदी ने लॉकडाउन पर मांगे सुझाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से 15 मई तक लॉकडाउन पर अंतिम सुझाव देने को कहा है। उन्होंने राज्यों से लॉकडाउन से निपटने के संबंध में व्यापक रणनीति बनाने को कहा है,पीएम ने कहा लॉकडाउन में क्रमिक ढील के दौरान और बाद में विभिन्न बारीकियों से निपटने के लिए एक खाका बनाना चाहिए।

कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग के लिए मुख्‍यमंत्रियों का आभार जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप इससे आगे कैसे निपटना चाहते हैं या अपने-अपने राज्‍यों में लॉकडाउन को कैसे संभालना चाहते हैं, लॉकडाउन के दौरान या उसमें क्रमिक ढील के बाद आप हालात से कैसे निपटेंगे, इसका ब्लूप्रिंट तैयार करें। 

'कोरोना के बाद दुनिया बदल गई है'
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के बाद दुनिया बदल गई है। जैसे विश्व युद्धों से पहले और बाद की दुनिया का जिक्र होता है उसी तरह कोरोना से पहले और कोरोना के बाद की दुनिया का जिक्र होगा। 

पीएम की अहम बात ये रही कि उन्होंने कहा- लॉकडाउन के पहले चरण अपनाए गए जरूरी उपायों की दूसरे चरण के दौरान जरूरत नहीं थी और इसी तरह तीसरे चरण में अपनाए गए जरूरी उपायों की चौथे में जरूरत नहीं है। जैसे ही हम लॉकडाउन से बाहर आने की बात करते हैं तो हमें लगातार याद रखना चाहिए कि अभी तक हमने टीका या समाधान नहीं ढूंढा है इसलिए हमारे पास सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग ही है।

तो लब्बोलुबाव ये है कि केंद्र सरकार के साथ राज्य भी चाहते हैं कोरोना संकट से कुशलता से निपटा जाए, सरकार को लोगों के स्वास्थ्य और उनकी जान की चिंता सर्वोपरि है लेकिन इकॉनामी की गिरती हालत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि यदि आपका खजाना खाली होता जाएगा तो आपको बड़ी लड़ाई तो छोड़िए छोटी परेशानियों से भी लड़ने के लिए जूझना पड़ेगा, शायद यही वजह है कि सरकारों के लिए ये भी (सेहत और जान-माल) भी 'जरुरी' और अर्थव्यवस्था भी 'अहम' है।

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