अपने पिता के बारे में क्‍या सोचती हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी? आप जानते हैं क्‍या करती हैं वो?

देश
श्वेता कुमारी
Updated Jan 23, 2021 | 19:11 IST

देश आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर आखिर उनकी बेटी अपने पिता को कैसे याद कर रही हैं? क्‍या आप जानते हैं कहां रहती हैं, क्‍या करती हैं वो?

अपने पिता के बारे में क्‍या सोचती हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी? आप जानते हैं क्‍या करती हैं वो?
अपने पिता के बारे में क्‍या सोचती हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी? आप जानते हैं क्‍या करती हैं वो? 

नई दिल्‍ली : देश के महान सपूत व स्‍वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को उनकी 125वीं जयंती पर देश याद कर रहा है। उनकी बहादुरी और शौर्य के किस्‍से आज भी हर भारतीय को गौरव से भर देता है तो उनका सबसे लोकप्रिय नारा 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा' आज भी देश की आन बान शान के लिए मर मिटने का जुनून व जज्‍बा पैदा कर देता है। नेताजी की शौर्यगाथा से अलग उनकी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। शायद ही किसी को मालूम हो कि उनकी एक बेटी भी है, जिन्‍होंने भले ही अपने पिता के साथ वक्‍त नहीं बिताया, पर आज भी उनके लिए अगाध सम्‍मान व स्‍नेह मन में रखती हैं।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी का नाम डॉ. अनीता बोस फैफ है, जो एक मशहूर अर्थशास्‍त्री हैं। अनीता बोस, सुभाषचंद्र बोस और एमिली शेंकल की बेटी हैं। सुभाषचंद्र बोस और एमिली शेंकल की शादी 26 दिसंबर, 1937 को आस्ट्रिया के बादगास्तीन में हुई थी। एमिली ऑस्ट्रिया की ही रहने वाली थीं। सुभाषचंद्र बोस का पूरा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित था और ऐसे में उन्‍होंने इस शादी को गोपनीय ही रखने का फैसला किया। सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर लिखी किताबों में इसका जिक्र मिलता है कि दोनों के बीच प्रेम कितना मजबूत था। उनकी बेटी अनीता बोस का जन्‍म 29 नवंबर, 1942 को हुआ था।

जर्मनी की मशहूर अर्थशास्‍त्री हैं अनीता बोस

बताया जाता है कि इटली के क्रांतिकारी नेता गैरीबाल्डी की पत्नी अनीता गैरीबाल्डी के सम्मान में नेताजी ने अपनी बेटी का यह नाम चुना था, जो अपने पति के साथ कई युद्धों में शामिल हुई थीं। आजादी के जिस मिशन के लिए नेताजी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था, उसकी वजह से बेटी और पत्‍नी के साथ वह बहुत कम वक्‍त ही बिता पाए। बताते हैं कि वह दिसंबर, 1942 में बेटी को देखने ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना पहुंचे थे और तभी उन्‍होंने अपने भाई शरत चंद्र बोस को खत लिखकर पत्नी और बेटी के बारे में जानकारी दी थी। लेकिन यहां से जब वह अपने मिशन पर रवाना हुए तो फिर कभी अपनी पत्‍नी और बेटी के पास लौटकर नहीं आ सके।

एमिली के बारे में बताया जाता है कि वह नेताजी की यादों के सहारे 1996 तक जीवित रहीं और एक छोटे से तार घर में काम करते हुए बेटी अनीता बोस को पाल पोस कर बड़ा किया। वह अनीता बोस आज जर्मनी की मशहूर अर्थशास्त्री हैं। जन्‍म के ठीक बाद से ही पिता को कभी अपने जीवन में नहीं देख पाने वाली अनीता को अपने पिता की विरासत पर बेइंतहां गर्व है। नेताजी की 125वीं जयंती को जब भारत में 'पराक्रम दिवस' के तौर पर मनाया जा रहा है और इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, भारत से मीलों दूर जर्मनी में रह रहीं अनीता बोस गौरव की अनुभूति करती हैं और इन सबके लिए शुक्र‍िया अदा कर रही हैं।

'देश के लिए अगाध प्रेम से भरे थे मेरे पिता'

अपने पिता को याद करते हुए डॉ. अनीता बोस फैफ कहती हैं, '124 साल पहले, भारत के महान सपूतों में से एक मेरे पिता नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म कटक में हुआ था। केंद्र और राज्य सरकारों ने उनकी 125वीं जयंती पर उन्‍हें सम्‍मानित करने का जो फैसला किया है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।' सुभाषचंद्र के सपनों के भारत के बारे में अनीता बोस कहती हैं, 'उन्होंने एक ऐसे देश की कल्पना की थी, जो आधुनिक, प्रबुद्ध और अपने ऐतिहासिक, दार्शनिक व धार्मिक परंपराओं की जड़ों से गहराई से जुड़ा हो।'

आजादी को लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जज्‍बे को सैल्‍यूट करते हुए डॉ. अनीता बोस कहती हैं, 'अपने देश के लिए अथाह प्रेम की भावना उनमें कुछ इस तरह थी कि परिवार और मित्रों के लिए उनकी जिम्‍मेदारी हो या यहां तक कि अपनी सुरक्षा, सबकुछ उसके आगे फीका पड़ जाता था या कहें कि देशप्रेम की उस भावना में यह सब कहीं दब जाता था। देश की आजादी के लिए उन्‍होंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की।' बकौल डॉ. अनीता बोस, उनके पिता इस बात से भलीभांति परिचित थे कि आजाद भारत की अपनी अलग चुनौतियां होंगी और भी इनका सामना करने के लिए तैयार थे, पर दुर्भाग्‍यवश ऐसा हो न सका।

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