नई दिल्ली: उत्तराखंड में पिछले 4 महीने के अंदर तीसरे मुख्यमंत्री का चुनाव यानी बीजेपी नेता पुष्कर सिंह धामी जुलाई 4 को 11 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। अभी मार्च महीने में ही बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था। तीरथ सिंह रावत को 115 दिन के बाद ही हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बदलाव को समझने के लिए 3 प्रश्नों को समझना जरुरी है।
पहला प्रश्न आखिर बीजेपी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को क्यों बदला? इसके कई कारण दिए जा रहे हैं।
पहला, तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर ही विधान सभा का सदस्य बनना कानूनन अनिवार्य था जबकि उतराखंड का विधान सभा चुनाव अगले वर्ष फरवरी मार्च 2022 में होना तय है। चूँकि एक साल से कम अवधि रह गया है ऐसी स्थिति में कानूनन चुनाव आयोग उप चुनाव नहीं करवा सकता है। इसलिए इनको हटाना अनिवार्य था।
दूसरा, पहले कारण का एक अपवाद भी है जब 1999 में ओडिसा के मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग के लिए एक साल से कम अवधि रहते हुए उप चुनाव करवाए गए थे। फिर यहाँ क्यों नहीं हो सकता था। इसी से जुड़ा है दूसरा कारण कि यदि उप चुनाव होते तो क्या तीरथ सिंह रावत चुनाव जीत पाते। इस आशंका को भी हटाने का कारण माना जा रहा है।
तीसरा, चूँकि अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं ऐसी स्थिति में भाजपा के अन्दर सवाल उठने शुरू हो गए कि क्या तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में बीजेपी उत्तराखंड विधान सभा चुनाव जीत पाएगी। आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को अपना सीएम उम्मीदवार बनाते हुए गंगोत्री सीट से तीरथ सिंह रावत को उप चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी। आप का दावा था कि इसी डर ने बीजेपी को मुख्यमंत्री बदलने के लिए मजबूर कर दिया।
चौथा, तीरथ सिंह रावत ने 115 दिन के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अनेकों अनावश्यक विवादित बयान दे चुके हैं खासकरके महिला और युवा के बारे में क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला और युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। यानी तीरथ सिंह रावत के विवादित बयानों से कोर कोंस्टीटूएंसी में ही घात लगना शुरू हो गया था। इसीलिए इन्हें बदलना जरुरी समझा गया।
पाँचवाँ, ऐसा माना जा रहा है कि तीरथ सिंह रावत भले ही सौम्य और सरल स्वभाव के हैं लेकिन उनकी बीजेपी संगठन पर भी पकड़ कमजोर रही है जबकि संगठन से उचित तालमेल के बिना चुनाव जीतना असंभव हो जाता है। छठवाँ, कोरोना के दौर में हुए हरिद्वार कुम्भ मेला को सुचारु रूप से नहीं करवा पाना भी एक कारण माना जा रहा है।
लेकिन सवाल ये है कि बीजेपी तीरथ सिंह रावत को मार्च महीने में मुख्यमंत्री बनाते समय इन सब कारणों के बारे में क्यों नहीं सोचा गया ? खैर इसका उत्तर तो बीजेपी ही दे सकती है।
दूसरा प्रश्न , पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया? इसके भी कई कारण हैं:
पहला , पुष्कर सिंह धामी 45 वर्षीय युवा और जुझारू नेता हैं।
दूसरा , अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के दो बार उत्तराखंड प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके हैं और इसका मतलब है कि विद्यार्थी परिषद् आरएसएस का छात्र संगठन है। इसका माने धामी की ट्रेनिंग सीधे सीधे आरएसएस के निर्देशन में हुआ है।
तीसरा , 2005 में धामी ने युवाओं के लिए उत्तराखंड में एक सफल आंदोलन चलाया था जिसमें इनके नेतृत्व क्षमता को काफी धार मिली और तभी से धामी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं।
चौथा , धामी के प्रयास के वजह से ही उत्तराखंड के उद्योगों में राज्य के युवाओं के लिए 70 फीसदी आरक्षण हो पाया।
पाँचवाँ , उधमसिंघ नगर यानी तराई या प्लेन्स रीजन के खटीमा विधान सभा सीट से दो बार एमएलए बन चुके हैं जबकि जन्म स्थान पिथौड़ागढ़ कुमाऊं रीजन में है। इसका मतलब इनकी पकड़ पहाड़ और प्लेन्स दोनों में मानी जा रही है।
छठा, चूँकि लोकप्रिय युवा आंदोलनकारी नेता रहे हैं इसीलिए संगठन पर इनकी पकड़ काफी मजबूत है जिसका फायदा अगले वर्ष के चुनाव में मिलने की संभावना है। यही कारण है कि मख्यमंत्री चुने जाने के बाद अपने पहले ही प्रेस कांफ्रेंस में धानी ने साफ साफ कहा कि सबसे पहले जनता के मुद्दे ही उठाएंगे।
सातवाँ , पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत दोनों गढ़वाल रीजन से आते हैं और पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं रीजन से आते हैं। इसका मतलब कुमाऊं रीजन के लिए एक सीधा मैसेज है। इन्हीं सब कारणों की वजह से पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया है और अगला विधान सभा चुनाव इन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
तीसरा प्रश्न , क्या पुष्कर सिंह धामी चुनावी अग्नि परीक्षा पास करेंगे ?
बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री क्यों बनाया इसका सबसे बड़ा कारण है कि अगले वर्ष होने वाले विधान चुनाव को जीतना और यही कारण बन गया है धामी के लिए अग्नि परीक्षा क्योंकि धानी के पास मात्र 6 महीने का समय है यानी दिसंबर 2021 तक क्योंकि चुनाव होने हैं फरवरी मार्च 2022 मेंसवाल है क्या पुष्कर सिंह धामी अपनी इस चुनावी अग्नि परीक्षा में पास करेंगे ? इसका उत्तर मिलेगा चुनाव के बाद कि क्या धामी चुनावी अग्नि परीक्षा पास करते हैं या नहीं।
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