नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को एक बड़ा नेता बताया है। राजनीतिक गलियारों में सीएम आदित्यनाथ के इस बयान की खूब चर्चा हो रही है। सीएम योगी के इस बयान को यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़कर उसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। ओवैसी ने कहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वह राज्य की 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे। जाहिर है कि यूपी चूनाव में ओवैसी एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरेंगे।
गत जनवरी में आजमगढ़ पहुंचे थे ओवैसी
चुनाव में उनकी मौजूदगी राज्य के मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता रखती है। बिहार की तरह यूपी भी हिंदी भाषी राज्य है और यहां की जमीनी राजनीति को ओवैसी अच्छी तरह समझते हैं। राज्य में पार्टी का जनाधार मजबूत करने के लिए वह गत दिसंबर से सक्रिय हैं। जनवरी महीने में उन्होंने अखिलेश यादव के गढ़ एवं निर्वाचन क्षेत्र आजमगढ़ का दौरा किया और यहां से मुस्लिमों को राजनीतिक संदेश दिया। बंगाल चुनाव में उन्हें भले ही सफलता न मिली हो लेकिन 10 पार्टियों के गठबंधन में शामिल ओवैसी उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
ओवैसी को बड़ा नेता बताकर भाजपा ने चला है दांव
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) यह अच्छी तरह जानती है कि विधानसभा चुनाव में उसे मुस्लिमों का वोट नहीं मिलने वाला है। राज्य में मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 19 प्रतिशत है और राज्य की करीब 100 सीटों के चुनाव नतीजों को यह वर्ग प्रभावित करता है। ओवैसी ने भी कहा है कि वह राज्य की 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। जाहिर है कि ओवैसी उन्हीं सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे जहां मुस्लिम वोटों का दबदबा है और जो चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। अभी राज्य में मुस्लिम एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को वोट करते आए हैं।
मुस्लिम वोटों में बिखराव से भाजपा को होगा फायदा
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने ओवैसी को बड़ा नेता बताकर राज्य की राजनीति में उनका कद बड़ा दिखाने की कोशिश की है। राज्य में ओवैसी का प्रभाव जितना बढ़ेता उतना ही मुस्लिम समुदाय में भ्रम की स्थिति पैदा होगी। मु्स्लिम वोटरों को अपनी तरफ खींचने की सपा और एआईएमआईएम के बीच होड़ से भाजपा को फायदा पहुंचेगा। भाजपा चाहेगी कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों में बिखराव हो ताकि उसकी चुनौती कम हो सके। ओवैसी अगर यूपी चुनाव को लेकर इतने आश्वस्त हैं तो उसके पीछे वजहें भी हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भले ही कोई सीट हासिल नहीं की हो लेकिन पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम के समर्थन वाले करीब 50 उम्मीदवार विजयी हुए हैं। यह बताता है कि यूपी में ओवैसी का वोटों का दामन बिल्कुल खाली नहीं है।
बिहार में छह दलों के साथ गठबंधन किया था
बिहार चुनाव में उन्होंने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और पांच सीटों पर उन्हें जीत मिली। बिहार में उन्होंने छह दलों के साथ गठबंधन किया था। उत्तर प्रदेश में उन्होंने ओम प्रकाश राजभर की 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी' के साथ मिलकर 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' बनाया है और इसमें 10 छोटे दल शामिल हैं। ओवैसी की नजर इन छोटे दलों के साथ मिलकर आगामी विस चुनाव में एक बड़े वोट बैंक पर कब्जा करने की है। बहरहाल, भाजपा की सोच और रणनीति यही होगी कि चुनाव में एआईएमआईएम और मजबूती के साथ उभरे ताकि मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो।
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