गुवाहाटी : पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने राज्यसभा के लिए अपना मनोनयन क्यों स्वीकार किया, इसके बारे में वह विस्तार से मीडिया से बात करेंगे। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में गोगोई ने कहा, 'संभवत: मैं कल दिल्ली जाऊंगा। एक बार मुझे शपथ ग्रहण कर लेने दीजिए, फिर इसके बाद मैं मीडिया से विस्तार से बताऊंगा कि मैंने राज्यसभा की सीट क्यों स्वीकार की और मैं क्यों उच्च सदन जा रहा हूं।'
राष्ट्रपति ने किया है मनोनीत
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सरकार के इस फैसले को विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रही हैं। विपक्ष के कई सदस्यों ने इसे 'एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने' का मामला बताया है। बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने गत नौ नवंबर को अयोध्या केस में ऐतिहासिक फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला को देने और अयोध्या में ही मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
मनोनयन पर विपक्ष ने उठाए सवाल
गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में तीन अक्टूबर 2018 से 17 नवंबर 2019 तक अपनी सेवा दी। राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किए जाने पर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि गोगोई ने अयोध्या केस का फैसला सरकार के पक्ष में दिया इसलिए उन्हें 'इनाम' दिया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने 'तस्वीर सबकुछ बयां करती है' नाम के टैगलाइन से दो न्यूज स्टोरीज शेयर कीं। कांग्रेस नेता ने कहा कि गोगोई को राज्यसभा में नामित किए जाने से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न होता है। कांग्रेस नेता संजय झा ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई राज्यसभा की इस सीट को 'ना' कहेंगे। अन्यथा इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को काफी क्षति पहुंचेगी।'
केटीएस तुलकी के रिटायर होने पर खाली हुई है सीट
कांग्रेस का कहना है कि सरकार संस्थाओं को नष्ट कर रही है। जबकि कानूनविदों ने इस मनोनयन को सही ठहराया है। राज्यसभा की जिस सीट के लिए रंजन गोगोई मनोनीत हुए हैं वह सीट केटीएस तुलसी के रिटायर होने के बाद रिक्त हुई है।
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