कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। हिंसा मामले में इस जांच की निगरानी कोर्ट करेगा। इसके अलावा हाई कोर्ट ने जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। इस टीम में पश्चिम बंगाल कैडर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य सरकार के संरक्षण में बंगाल चुनाव के बाद हिंसा हुई। कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के झूठ का पर्दाफाश कर दिया है।
एनएचआरसी ने हाई कोर्ट को दी थी रिपोर्ट
बता दें कि हाई कोर्ट ने एनएचआरसी को इस हिंसा मामले की जांच करने का आदेश दिया था। एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद ममता सरकार सवालों के घेरे में आ गई है क्योंकि हिंसा मामले में वह कानून-व्यवस्था की असफलता के आरोपों को खारिज करती आई है। कोर्ट को लगा है कि हिंसा मामले में पुलिस को जिस तरह से जांच करनी चाहिए थी वैसी जांच उसने नहीं की।
पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि हिंसा से जुड़े सभी मामलों की जांच सीबीआई और एसआईटी करेगी। सीबीआई और एसआईटी को छह सप्ताह बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। कोर्ट इस माममले की अगली सुनवाई अब चार अक्टूबर को करेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को सभी हिंसा पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।
मानवता की रक्षा के लिए कोर्ट का फैसला-सुवेंदु अधिकारी
'टाइम्स नाउ नवभारत' से बातचीत में बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और नंदीग्राम से भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ये राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि मानवता का सवाल है। बंगाल में जो कुछ हुआ, वैसी राजनीतिक हिंसा स्वतंत्रता के बाद नहीं हुई। कोर्ट का आज का फैसला मानवता की रक्षा के लिए है।
पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की-रूपा गांगुली
'टाइम्स नाउ नवभारत' के साथ बातचीत में भाजपा सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि हिंसा की घटनाओं को राज्य सरकार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद उन्हें हिंसा की बात माननी पड़ेगी। गांगुली ने कहा कि चुनाव बाद जिन लोगों पर हमले हुए वे बंगाल के ही नागरिक थे। पश्चिम बंगाल में पुलिस राज्य सरकार के आदेश का पालन करती है। पुलिस अगर निष्पक्ष होकर जांच की होती या कार्रवाई की होती तो कोर्ट इस तरह का फैसला नहीं देता।
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