चित्तौड़गढ़: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में देश का पहला गौ-मंदिर (Cow Temple) बनने जा रहा है। आठ लाख रुपयो की लागत से 625 वर्गफीट में गौ-मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही यहां गायों के इलाज के लिए तैयार हो रहा है आईसीयू गौ- चिकित्सालय जहां गाय की सर्जरी और एक्सरे की सुविधा भी होगी। किसी गाय की याद में बनने वाला यह देश का पहला मंदिर है । जी हां , चित्तौड़गढ में 20 अनाथ बछड़ों को अपना दूध पिलाकर जीवनदान देने वाली गाय- करुणा की याद में यह मंदिर बनाया जा रहा है।
गाय की याद में बनाया जा रहा है मंदिर
जिस करुणा गाय की याद में यह मंदिर बनाया जा रहा है उसकी खास बात ये थी कि वह तीन से चार बछड़ों को बड़े ही स्नेह से एक साथ दूध पिलाती थी। मामला चित्तौड़गढ़ जिले के भादसोड़ा में संचालित श्रीकृष्ण आदिनाथ गोशाला का है। गौशाला कमेटी ने करुणा नामक गाय की स्मृति को संजोए रखने के लिए ये निर्णय लिया और काम धरातल दिखाई देने लगा है। मंदिर का गर्भगृह बन रहा है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और करुणा गौ माता की मूर्ति राजस्थान के प्रसिद्ध मार्बल से बानयी जा रही है।
कुछ ऐसा होगा मंदिर
मंदिर के बाहर वुडन सीमेंटेड गार्डन भी बनेगा, छह स्तंभ होंगे, प्रति स्तंभ पर भामाशाह के नाम की पटिट्का लगेगी, एक तुलसी स्तंभ होगा, मुख्य कलश बोली द्वारा लिया जा सकेगा। अगले सात माह में मंदिर तैयार करने का लक्ष्य है। इसे प्रदेश का पहला गो स्मृति मंदिर कहा जा रहा है। 2009 में सुरखंड मार्ग पर 6 युवाओं ने प्रतिदिन 10 रुपए बचत कर गोशाला शुरू की थी, जो आज सवा पांच बीघा में फैली है। अब करीब 500 लोग जुड़ चुके हैं। जनसहयोग से जिले में भी शाखाएं खुलने लगी। यहां गो चिकित्सालय भी शुरू कर दिया। गत जन्माष्टमी पर तय हुआ कि गंभीर गोवंश के के लिए आईसीयू वार्ड बनाया जाए, जिसमें 45 गोवंश के रहने के ब्लॉक बनेंगे। ऑपरेशन प्लेटफार्म, ट्रोमा वार्ड, सर्जरी सुविधा होगी। एक्सरे मशीन लगाएंगे। छह साल में साढ़े चार हजार गोवंश का उपचार किया है।
लावारिश गौवंश को रखा जाता है यहां
चित्तौड़गढ़-उदयपुर हाईवे स्थित भादसोड़ा कस्बे में संचालित श्रीकृष्ण आदिनाथ गोशाला में करीब 100 किमी परिधि तक के लावारिस, बीमार और जख्मी गोवंश को रखा जाता है, यहां गो चिकित्सालय भी है। गोशाला में अभी 270 स्वस्थ और 45 बीमार, घायल गोवंश हैं। दो साल पहले घायल एक गाय आई। उसने बछड़े को जन्म दिया। यह गाय बछड़े के साथ गोशाला के अन्य बछड़ों को भी दूध पिलाने लगी। कई बार ऐसा दृश्य भी बनता जब एक साथ चार-छह बछड़े दूध पीते उससे लिपटते रहते थे। किसी बछड़े के बीमार पड़ने पर उसकी आंखें भर आती थी। इसलिए उसे करुणा गोमाता कहा जाने लगा। गत 15 अगस्त को इस गाय की मौत हो गई तो परिसर में ही समाधि बनाई है और उसी याद में बनाया जा रहा है ये गौ-मंदिर
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