मथुरा/ फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद सहित कई जिलों में इन दिनों रहस्यमयी बुखार (Viral Fever) की वजह से कई बच्चों की मौत हो गई है। फिरोजाबाद (Firozabad), मथुरा (Mathura) समेत कई जिलों में उस रहस्यमयी बुखार की वजह से रोज लाशें बिछ रही हैं। सिर्फ फिरोजाबाद और मथुरा में ही अब तक 81 लोगों की जानें जा चुकी है। जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर बच्चे हैं। करीब 500 बच्चे बीमार हैं। इसीलिए पूरे पश्चिमी यूपी में खौफ का आलम है। जिस तरह से पूर्वी यूपी में कभी दिमागी बुखार का कहर था, उसी तरह अब पश्चिमी यूपी में डेंगू और मलेरिया जैसे लक्षण वाले बुखार का आतंक है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि इन इलाकों में ICMR की टीम जा रही है। ये पता लगाने की आखिर ये कौन सा बुखार है।
लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर एक्शन
फिरोजाबाद का अस्पताल बीमार बच्चों से भरा हुआ है। सबको तेज बुखार है लेकिन किसी को कोरोना नहीं है। ICMR की जिस टीम सैंपल्स की जांच की है, उसका कहना है कि ये कोविड नहीं है। यही बात डॉक्टर भी कह रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में ही बड़ी संख्या में मौतों के बाद लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई की जा रही है। फिरोजाबाद की सीएमओ का पहले ही ट्रांसफर किया जा चुका है।
मथुरा का भी हाल, बेहाल
जो हाल फिरोजाबाद का है, वही मथुरा का भी। एक के बाद एक हो रही मौतों से मथुरा के लोग बहुत गुस्से में हैं। वो अपने बच्चों की जान बचाने के लिए, सरकारी तंत्र को जगाने के लिए भूख हड़ताल पर भी बैठ गए हैं। टाइम्स नाऊ नवभारत के रिपोर्टर वरुण भसीन जब मथुरा के जिला अस्पताल पहुंचे, तो बीमार बच्चों के परिजनों का दर्द सामने आ गया। बुखार जिस तरह बच्चों को बीमार कर रहा है, वो बहुत ही डरावना है। यही वजह है कि कुछ गांवों से पलायन शुरू हो गया है।
डेंगू कर रहा है शिकार!
टेस्ट में डेंगू होने की बात सामने आ रही है। डॉक्टर कह रहे हैं कि डेंगू उन लोगों का शिकार कर रहा है, जो नाले के आसपास रहते हैं। रहस्यमयी बुखार के पीछे की मुख्य वजह यही सामने आ रही है। गंदगी और साफ सफाई का ना होना। इन इलाकों में सीवेज सिस्टम नहीं है। वेस्ट डिस्पोजल का इंतजाम नहीं है। नाले और नालियां गंदगी का गढ़ हैं। शक है कि इसी वजह से लोग कातिल बुखार के शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि जब सोमवार को सीएम योगी फिरोजाबाद अस्पताल पहुंचे थे, तो उन्होंने प्रशासन को साफ सफाई के निर्देश दिए थे। अगर यही काम पहले कर लिया जाता है। अगर इन इलाकों में क्लीन इंडिया के सपनों को साकार किया जाता तो शायद आज 80 से ज्यादा जिंदगी यूं खत्म नहीं होती।
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