हाथरस: हाथरस मामले को लेकर यूपी पुलिस, सरकार और प्रशासन की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उन्हें एक तरह से बंधक बना लिया है और परिवार के सदस्यों के मोबाइल छीन लिए हैं। इतना ही पूरे हाथरस में धारा 144 लागू की गई है और पीड़ित परिवार के गांव में जाने वाले हर रास्ते को सील किया हुआ है और एंट्री बैन है। हाथरस मामले को लेकर आज भी देश के अलग- अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लखनऊ में हुए समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन के दौरान पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
पीड़िता के भाई ने लगाए गंभार आरोप
पीड़िता के भाई किसी तरह पुलिस की नजरों से बचकर खेतों के रास्ते भागते हुए मीडिया के सामने पहुंचा। पीड़िता के भाई ने कहा, 'हमको डराया था। हमारा फोन छीन लिया तांकि किसी को ना बुला सकें। सबका फोन छीन लिया। किसी को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। हमारी मां और भाभी ने कहा था कि मीडिया को बुलाकर लाओ, हम उनसे बात करेंगे। मैं खेतों से छुप-छुपकर यहां तक पहुंचा हूं। डीएम साहब ने कल मेरे ताऊजी को मारा। डीएम साहब ने उनकी छाती पर लात मारी। सबको कमरे में बंद कर दिया। पुलिस चारों और लगी हुई है, चाहे वो छत पर हो या अन्य जगह पर।'
किले में तब्दील हुआ पीड़िता का गांव
हाथरस में पीड़िता के गांव को पुलिस ने इस कदर सील किया हुआ जैसे कोई किलेबंदी हुई हो। मीडियाकर्मियों और पुलिसकर्मियों के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें पुलिस वाले मीडियाकर्मियों को गांव में घुसने से रोक रहे हैं। नोंकझोंक का यह सिलसिला जारी है। इस संबंध में जब ड्यूटी पर तैनात पुलिसवालों से सवाल किया गया कि वो आखिर क्यों जाने से रोक रहे हैं? तो सभी का एक सा जवाब था, 'हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं और ऊपर से आदेश है इसलिए गांव में नहीं जाने दे सकते हैं।'
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