नई दिल्ली: हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के अंतिम संस्कार को लेकर खूब विवाद हो रहा है। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने रात में जबरन अंतिम संस्कार करा दिया। वहीं पुलिस का कहना है कि परिवार की सहमति के बाद ही अंतिम संस्कार कराया गया। पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ लोग शव में लकड़ियां दे रहे हैं।
हाथरस के एसपी विक्रांत वीर से जब पूछा गया कि शव को मुखाग्नि पुलिस ने दी या घर वालों ने तो उन्होंने कहा, 'मैं वहां नहीं था, परिजन मौजूद थे। उनकी सहमति से हुआ है।'
वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि हमें बच्ची का चेहरा भी नहीं देखने दिया गया। उन्होंने ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया। हम अंतिम संस्कार सुबह करना चाहते थे। हिंदू रीति रिवाज में रात में अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। पीड़िता के भाई ने कहा कि पुलिस अंतिम संस्कार के लिए शव और मेरे पिता को जबरन अपने साथ ले गई। मेरे पिता जब हाथरस पहुंचे, पुलिस उन्हें तत्काल (शवदाहगृह) ले गई।
हाथरस पुलिस ने ट्वीट कर कहा, 'कतिपय सोशल मीडिया के माध्यम से यह असत्य खबर फैलायी जा रही है कि थाना चन्दपा क्षेत्रान्तर्गत दुर्भाग्यपूर्ण घटित घटना में मृतिका के शव का अन्तिम संस्कार बिना परिजनों की अनुमति के पुलिस ने जबरन रात में करा दिया हैं। हाथरस पुलिस इस असत्य एवं भ्रामक खबर का खंडन करती है।'
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि यह चिंता का विषय है कि पीड़ित परिवार को उसका अंतिम संस्कार करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा, 'यह अन्यायपूर्ण और अनुचित है।' कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट किया, 'सरकार ने पीड़िता का दाह संस्कार करने के लिए परिवार के अधिकार को छीन लिया। सरकार ने उसे सुरक्षा और समय पर इलाज नहीं दिया और अब उन्होंने उसकी मौत के बाद उसे सम्मान भी नहीं दिया।'
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