नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देने के लिए भारतीय फौज पूरी तरह से तैयार हो गई है। खासकर पूर्वी लद्दाख में चीन के लंबे समय तक रुकने की तैयारियों को देखते हुए भारतीय फौज पूरी तह से मुस्तैद हो गई है। आने वाले कुछ महीनों में लद्दाख में बर्फबारी शुरू हो जाएगी। इसे ध्यान में रखते हुए सेना ने अपने अग्रिम मोर्चों पर राशन, गर्म कपड़े और गर्म रखने वाले उपकरणों को पहुंचाना शुरू कर दिया है। तैयारी की इसी क्रम को जारी रखते हुए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) का एक परिवहन विमान मंगलवार को लद्दाख पहुंचा। इस विमान से गर्म रखने वाले उपकरणों एवं उच्च पौष्टिक वाले राशन को जवानों तक पहुंचाया जाएगा।
भारत का लॉजिस्टिक सपोर्ट मजबूत हुआ
भारतीय फौज की तैयारी पर मेजर जनरल अरविंद कपूर ने कहा, 'लद्दाख में भारतीय वाय सेना अहम भूमिका निभाती है। पिछले कुछ महीनों में उसने तेजी के साथ सैन्य टुकड़ियों को यहां पहुंचाया है। हमारे सिस्टम इतने अच्छे हो चुके हैं कि आज कई विदेशी देश हमारे सिस्टम को अपना चुके हैं। लद्दाख जैसी जगह में ऑपरेशनल लॉजिस्टिक बहुत मायने रखता है। पिछले 20 सालों में इसे हमने और बेहतर किया है। अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवानों को अत्यंत पोषण युक्त राशन और गर्म कपड़े उपलब्ध कराया जा रहा है।'
राजनाथ सिंह ने हालात से संसद को अवगत कराया
लद्दाख की स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा सदस्यों को जानकारी दी। उन्होंने संसद को बताया कि चीन ने करारों का उल्लंघन करते हुए एलएसी के पास बड़ी संख्या में अपनी फौज, हथियार और गोला बारूद एलएसी के पास जमा किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत सीमा मसले का शांतिपूर्ण हल चाहता है लेकिन वह किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है। चीन के इस दुस्साहस को देखते हुए भारतीय फौज ने भी अपनी जवाबी तैयारी की है ताकि देश की संप्रभुता एवं अखंडता पर कोई आंच न आ सके।
रक्षा मंत्री ने कहा-चीन ने करारों का उल्लंघन किया
राजनाथ सिंह ने कहा सीमा पर शांति एवं सौहार्द कायम रखने के लिए जितने भी द्विपक्षीय करार हैं, चीन ने उन सभी का उल्लंघन किया है। चीन की सेना अप्रैल-मई के महीने से ही उकसावे, हिंसक एवं आक्रामक रवैया अपनाने लगी। चीन के अतिक्रमण ने 1993 और 1996 के हमारे द्विपक्षीय करारों को पूरी तरह से नकार दिया है। भारत की फौज पूरी तरह से इन करारों का पालन करती है लेकिन चीन की सेना ऐसा नहीं करती।
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