रांची: भारत और चीन के बीच सीमा तनातनी का माहौल बना हुआ है ऐसे में सरकार लगातार तनाव को कम करने की कोशिश कर रही है। इस तनाव के बीच झारखंड की जेएमएम औऱ कांग्रेस की गठबंधन वाली सोरेन सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जो हैरान कर देने वाला है। राज्य सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि वह मौजूदा तनावपूर्ण हालात में एलएसी जैसे बॉर्डर वाले इलाकों में मजदूरों को नहीं भेजेगी।
सीएम सोरेन ने दी सफाई
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को झारखंड से 8000 मजदूरों को लेह व लद्दाख ले जाने की अनुमति नहीं दी है। इस बारे में सफाई देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, 'झारखंड सरकार के पास सीमा क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों का विवरण होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर हम उनकी मदद कर सकें। हमने तय किया है कि श्रमिकों को केवल राज्य की सहमति के बाद दूसरे राज्यों में ले जाया जा सकता है।'
हैरान करने वाला फैसला
दरअसल सीमा सुरक्षा संगठन (बीआरओ) सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण का कारय् करता है। इस कार्य के लिए उसे मजदूरों की आवश्यकता होती है। खबरों की मानें तो हेमंत सोरेन के क्षेत्र दुमका जिले के काफी मजदूर बीआरओ के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं लेकिन इस बार झारखंड सरकार ने बीआरओ को अपने मजदूर भेजने से इंकार कर दिया है। संकट के इस दौर में झारखंड सरकार का यह फैसला वाकई हैरान करने वाला है।
झारखंड सरकार ने एयरलिफ्ट कराया था
इससे पहले झारखंड सरकार ने कई सीमावर्ती इलाकों से अपने मजदूरों को एयरलिफ्ट किया था। वहीं अपने राज्य के मजदूरों को लाने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से ट्रेनों की भी मांग की थी। राज्य सरकार का कहना है कि वह वापस लाए गए मजदूरों को अपने यहां रोजगार देगी। यह सब तो ठीक है लेकिन संकट की इस घड़ी में सब सीमा पर लोगों की जरूरत है तो सरकार का यह फैसला हैरान करने वाला जरूर है।
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