नई दिल्ली : महाराष्ट्र में लगभग दो सप्ताह के राष्ट्रपति शासन के बाद नई सरकार का गठन हो चुका है। सियासी खींचतान में बीजेपी यहां एक बार फिर बाजी मार चुकी है, जिसकी पृष्ठभूमि रातों-रात चंद घंटों के भीतर तैयार हो गई। अभी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन के लिए आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया ही जा रहा था कि शनिवार सुबह लगभग 8 बजे देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की खबर सामने आई, जिनके साथ एनसीपी नेता अजित पवार ने भी उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक महीने बाद यहां नई सरकार का गठन हुआ है, जिसकी पृष्ठभूमि रातों-रात तैयार हो गई। बताया जाता है कि एनसीपी और बीजेपी के बीच इसे लेकर देर रात गहन बातचीत हुई और सुबह सरकार बन गई। बीजेपी और एनसीपी के बीच इस बातचीत में अजित परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण नजर आ रही है, जिन्होंने डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली है। शुरुआती रिपोर्ट्स में बातचीत की इस प्रक्रिया में शरद पवार के भी शामिल होने की बात सामने आई, पर एनसीपी प्रमुख ने कुछ देर बाद ही इससे खुद को अलग कर लिया।
बताया जाता है कि अजित पवार और बीजेपी की बातचीत रात करीब 11:45 बजे फाइनल हुई, जिसके बाद राज्यपाल को सूचित कर सरकार बनाने का दावा पेश किया गया। सरकार गठन के लिए पर्याप्त संख्या बल को लेकर आश्वस्त होने के बाद राज्यपाल ने केंद्र को राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा भेजी। सरकार गठन में किसकी क्या भूमिका रहेगी, इस पर शनिवार तड़के लगभग 3 बजे फैसला लिया गया और 4 बजे चुनिंदा मीडियाकर्मियों को बुलाया गया। राज्यपाल की अनुशंसा पर केंद्र ने सुबह 5:47 बजे राष्ट्रपति शासन हटा लिया और सुबह 8:05 बजे फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ले ली।
अब शरद पवार का कहना है कि अजित पवार ने यह फैसला व्यक्तिगत तौर पर लिया है। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है और अजित पवार ने उनसे चर्चा भी नहीं की। एनसीपी प्रमुख की बेटी सुप्रिया सुले ने भी अपना व्हाट्स स्टेटस 'फैमिली एंड पार्टी स्प्लिट' लगाया, जिससे पार्टी व पवार परिवार में टूट के संकेत मिल रहे हैं, पर अजित पवार ने सरकार गठन के लिए राज्यपाल को जो समर्थन पत्र सौंपा है, उसमें एनसीपी के सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर हैं और इसलिए इस बात को लेकर अधिक हैरानी जताई जा रही है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी विधायकों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करवाया गया हो और किसी को कानों-कान खबर न हुई हो।
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