मुंबई. फिल्मी कलाम से लेकर भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक के रूप में अपना जलवा बिखेरने वाले जावेद अख्तर साहब, की फिल्मों के साथ उनकी रचनाओं को भी बड़ी मोहब्बत से नवाजा गया है।
जावेद अख्तर ने बॉलीवुड फिल्मों के साथ साहित्य जगत में भी अपना एक अतुल्य योगदान दिया। आज भी उनके लिखे मोहब्बत के अफसाने लोग मन ही मन गुनाते हैं। आपको बतां दें जावेद साहब को लोग जादू के नाम से पुकारा करते थे।
जिसकी आवाज में अपनी बात को रखने का एक ऐसा हुनर था कि लोग उसे बेहद पसंद करते थे। जी हां इसलिए वह यूनिवर्सिटी के दिनों में लगातार तीन बार डिबेट कॉम्पटिशन के विजयता भी रहे।
आज भी जावेद अख्तर की मोहब्बत की शायरियां लोग खूब पसंद करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं जावेद साहब के कुछ मशहूर आशिकी शायरियां।
छोड़ कर जिसको गए थे
छोड़ कर जिसको गए थे वो कोई और था
अब मैं कोई और हूं वापस तो आकर देखिये
दर्द के फूल
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
जख्म कैसे भी हों कुछ रोज में भर जाते हैं
इस शहर में...
इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं
होठों पे लतीफे आवाज में छाले हैं
कभी कभी मैं ये सोचता हूं
कभी कभी मैं ये सोचता हूं कि मुझ को तेरी तलाश क्यूं है
कि जब हैं सारे ही तार टूटे तो साज में इर्तिआश क्यूं है
कोई अगर पूछता ये हम से बताते हम गर तो क्या बताते
भला हो सब का कि ये न पूछा कि दिल पे ऐसी खराश क्यूं है
बंध गई थी दिल
बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी,
खैर तुमने जो किया अच्छा किया...
अगर पलक पे है
अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफी
हुनर भी चाहिए अल्फाज में पिरोने का
इक मोहब्बत की..
इक मोहब्बत की ये तस्वीर है दो रंगों में
शौक सब मेरा है और सारी हया उसकी है
मिसाल..
मिसाल कहां है जमाने में
कि सारे खोने के गम पाये हमने पाने में
समझ लिया था
समझ लिया था कभी एक शराब को दरिया
पर एक शुकुन था हमको फरेब खाने में