लखनऊ: कोरोना काल में चीनी मिलों के संचालन के साथ प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को समय पर भुगतान कर उनको बड़ी राहत दी हैं। प्रदेश सरकार के मुताबिक पेराई सत्र 2020-21 में किसानों को 27465 करोड़ रूपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। इससे 85 लाख से अधिक किसान लाभांवित हुए हैं। सरकार के मुताबिक किसानों को कुल लक्ष्य का 83 प्रतिशत से अधिक भुगतान किया जा चुका है। वहीं, चार सालों में प्रदेश सरकार 1,42,650 करोड़ रूपए का रिकार्ड भुगतान कर चुकी है।
पेराई सत्र 2020-21 में 120 चीनीं मिलें संचालित की गईं जहां 1028 लाख टन गन्ने की खरीद हुई। पेराई सत्र 2020-21 में गन्ना फसल की कुल कीमत 33,025 करोड़ रूपए आंकी गई ।प्रदेश सरकार के मुताबिक शेष गन्ना किसानों के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। गन्ना विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की 53 चीनी मिलों ने पेराई सत्र 2020-21 का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है जबकि 67 चीनी मिलों को आंशिक गन्ना मूल्य का भुगतान करना रह गया है। चीनी मिलें अन्य सह उत्पादों की बिक्री से प्राप्त धनराशि से गन्ना मूल्य का भुगतान कर रहीं हैं।
50 सालों में गन्ना किसानों का हुआ रिकार्ड भुगतान
अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 50 सालों में किसी भी सरकार ने इतना अधिक व तेज भुगतान गन्ना किसानों को नहीं किया है। जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि चीनी की संस्थागत खरीद में गिरावट के बाद गन्ना किसानों को समय पर भुगतान किसी रिकार्ड से कम नहीं है। हालांकि किसानों को समय पर भुगतान में अन्य गन्ना उत्पादों ने अहम भूमिका निभाई है। इसमें गुड़, खोई, गन्ना रस से बनने वाला एथनॉल जो सेनीटाइजर उत्पादन में इस्तेमाल होता है। इनकी बिक्री ने गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में काफी सहयोग किया है। कोरोना काल के दौरान गन्ना विभाग द्वारा बनाए सेनीटाइजर की प्रदेश व देश में काफी बड़े पैमाने पर बिक्री हुई है।
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