यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए राजनीतिक दलों में कमर कस ली है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रथयात्रा के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुट गए। अपने प्रचार में वो कहते हैं कि 2022 में उनके दल की झोली में 400 सीटें आएंगे और उसके लिए उन्होंने गणित भी पेश किया है। यहां यह जानना जरूरी है कि 2017 में बीजेपी ने करीब 14 साल बाद सत्ता में वापसी की थी और वो विजय अपने आप में ऐतिहासिक इसलिए थी कि एसपी और बीएसपी का एक तरह से सफाया हो गया था।
इस तरह जीत जाएंगे 300 सीट
अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें पता चला है कि बीजेपी अपने मौजूदा 150 एमएलए के टिकट काटने वाली है। सबको पता है कि 100 विधायक विधानसभा में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ धरने पर बैठे। उनकी पार्टी के पास 50 एमलए हैं और इस गणित से उनकी पार्टी 300 सीट को पार कर जाएगी। उन्होंने कहा कि 2022 में बीजेपी के बहकावे में जनता नहीं आने वाली है। 2017 में उनकी पार्टी अपने कामों को सही तरह से जनता के बीच नहीं रख सकी। बीजेपी ने जुमलों की राजनीति कर जनता को बहका दिया था। लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती है।
क्या है जानकार की राय
अब ये तो दावों की बात है लेकिन जानकार और लोग क्या सोचते समझते हैं उसे जानना भी जरूरी है। जानकारों का कहना है कि हर एक दल चुनाव प्रचार से नतीजों के आने तक इस तरह की बातें करता है तो उसके पीछे दो वजह होती है। पहली बात जनता के बीच यह संदेश देना कि वो इकलौती ऐसी पार्टी है जो सत्ता पक्ष को चुनौती देने में सक्षम है, दूसरी बात यह है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश बरकरार रहे। लेकिन अगर यूपी की मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो विपक्ष में जितना बिखराव होगा बीजेपी की राह आसान होगी। इसके अलावा 2019 के आम चुनाव पर नजर डालिए तो पता चलता है कि विपक्ष के गठबंधन के बाद भी बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया। उन नतीजों से साफ है कि विपक्ष सिर्फ जाति की राजनीति या पंथ की राजनीति के जरिए ही बीजेपी को चुनौती नहीं दे सकता है।
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