नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है। सत्ता पाने के लिए, राजनीतिक दल हर वह काम करने की कोशिश करते हैं। जिससे उन्हें कुर्सी मिल जाय। इसके लिए वह कई बार टोटके और अंधविश्वास भी अपनाते हैं। उत्तर प्रदेश के नेता भी इसमें पीछे नहीं है। कोई खास जगह से चुनावी रैली शुरू करता है, तो कोई खास रंग के कपड़े पहनता है। आइए जानते हैं, कि नेताओं के खास टोटके..
विजय यात्रा से होता है सत्ता परिवर्तन
इस बार 12 अक्टूबर को अखिलेश यादव ने कानपुर से विजय यात्रा शुरू की है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जब-जब समाजवादी पार्टी रथ यात्रा निकालती है। तो राज्य में सत्ता परिवर्तन होता है। समाजवादी पार्टी का कानपुर से अलग ही नाता है। मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने भी उत्तर प्रदेश में चौधरी देवी लाल द्वारा शुरू की गई क्रांति रथ की कमान कानपुर में ही संभाली थी। इसके अलावा साल 2012 में भी कानपुर से कनेक्शन अखिलेश यादव के लिए खास रहा था। उस बार भी अखिलेश ने वहां से चुनाव अभियान का बिगुल बजाया था।
नोएडा जाने से बचते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से पहले तक, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव से लेकर मायावती तक अपने कार्यकाल में नोएडा जाने से बचते रहे हैं। ऐसे माना जाता है कि मुख्यमंत्री रहते कोई अगर नोएडा जाता है, तो उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती है। हालांकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस टोटके को नही माना है और वह अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा आ चुके हैं। अस्सी के दशक में नारायण दत्त तिवारी और वीर बहादुर सिंह जब नोएडा गए थे तो उसके कुछ समय बाद ही वह चुनाव हार गए थे। इसी वजह से मुलायम सिंह यादव नोएडा जाने से बचते थे। हालांकि 2011 में मायावती नोएडा गई और उन्हें अगले वर्ष चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था।
मायावती का गुलाबी रंग कनेक्शन
मुख्यमंत्री को अकसर गुलाबी और सफेद कपड़े पहनती हैं। उन्हें अपने जन्मदिन पर अकसर गुलाबी कपड़े पहने हुए देखा गया है। मायावती खुशी के मौके जैसे उनका जन्मदिन पर गुलाबी कपड़े पहनती हैं। पार्टी के नेता भी कनेक्शन से इत्तेफाक रखते हैं।
कांग्रेस का पेटिंग से परहेज
विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यालय को लेकर भी एक टोटका लोकप्रिय है। नेताओं का मानना है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष कार्यालय में पेंट कराते हैं तो उनके लिए अगले चुनावों में खेल खत्म हो जाता है। मसलन महावीर प्रसाद, एनडी तिवारी, सलमान खुर्शीद और रीता बहुगुणा जोशी के साथ ऐसा हो चुका है। साफ है कि चुनावी माहौल में जीत के लिए कुछ भी करेगा, जैसी सोच के साथ राजनेता आगे बढ़ते हैं।
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