नई दिल्ली: कई बार हम ऐसी खबरें सुनते हैं कि यात्री बस में चलते-चलते आ लग गई और उससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जल्द बसों में फायर डिटेक्शन डिवाइस लगाना अनिवार्य हो सकता है। इस संबंध में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नए मानक लाने की तैयारी कर रहा है। जिसके तहत यात्री बसों और स्कूल बसों में फायर डिटेक्शन डिवाइस लगाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए मंत्रालय ने एक ड्रॉफ्ट नोटिफिकेन भी जारी कर दिया है। जिस पर मिले फीडबैक के आधार पर फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।
इस तकनीकी से बचेंगे हादसे
मंत्रालय के ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन अनुसार आग लगने की घटनाओं के विश्लेषण से पता चला है कि यात्री मुख्य रूप से यात्री कंपार्टमेंट में गरमी या धुएं के कारण हादसे का शिकार होते हैं। अगर आग लगने की दुर्घटनाओं के दौरान, यात्री कंपार्टमेंट में गरमी या धुएं को नियंत्रित किया जा सके तो यात्रियों के हादसे में शिकार होने का जोखिम कम हो जाता है। ऐसा करने के लिए आपात स्थिति के समय बस से बाहर निकलने के लिए कम से कम 3 मिनट के अतिरिक्त समय की जरूरत होती है।
ऐसा करने के लिए डीआरडीओ और दूसरे पक्षों के जरिए एक फायर अलार्म सिस्टम के साथ-साथ एक वाटर मिस्ट आधारित एक्टिव फायर प्रोटेक्शन सिस्टम डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम ऑपरेशन के समय 30 सेकेंड से कम समय में यात्री कंपार्टमेंट के तापमान को 50 डिग्री सेल्सियस सेंटीग्रेड तक मैनेज कर सकता है।
इन बसों में लगेंगे फायर डिटेक्शन सिस्टम
अभी तक फायर डिटेक्शन सिस्टम केवल इंजन कंपार्टमेंट में ही लगाए जाते हैं। नए प्रावाधानों में विकसित किए गए डिवाइस टाइप -3 बसों में भी लगाए जाएंगे। टाइप-3 बसें वे होती हैं जिनकी डिजाइन और मैन्युफैक्चिरंग लंबी दूरी वाले यात्री परिवहन के लिए किया जाता है। इसके अलावा नए नियम स्कूल बसों के लिए भी लागू होंगे। ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन के अनुसार इस संबंध में एक महीने के अंदर लोगों को फीडबैक देना है। जिसके बाद नए नियमों के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। ये डिवाइस एक अप्रैल 2022 या उसके बाद से मैन्युफैक्चरिंग होने वाली बसों में लगाना अनिवार्य होगा।
भारत में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना
सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार साल 2018 में पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटना में 13.5 लाख लोगों की मौत हुई थी। उसमें से 11 फीसदी मौतें अकेले भारत में हुई थी। भारत में साल 2019 में 1.51 लाख लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हुई थी। इसमें आग से होने वाले हादसे भी शामिल हैं। ऐसे में नए डिवाइस से इस तरह के हादसों में कमी आएगी।