Chanchal Sharma : इंसान की कोशिश अपनी औलाद को खुद से बेहतर बनाने की होती है। अपनी हैसियत से ऊपर उठकर वह अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए जद्दोजहद करता है और मुश्किलें उठाता है। परिवार और बच्चों को अच्छी परवरिश देने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। तमाम अड़चनों के बाद महिलाएं वे काम भी करती हैं जिनमें पुरुषों का वर्चस्व माना जाता है। नोएडा की चंचल शर्मा भी इसमें शामिल हैं। चंचल ई-रिक्शा चलाती हैं। खास बात यह है कि उनका एक साल का लड़का है। ई-रिक्शा चलाते समय वह अपने बेटे को अपनी गोद में बेबी करियर में रखती हैं और फिर ई-रिक्शा चलाती हैं।
सुबह साढ़े छह बजे से हो जाती है दिन की शुरुआत
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक ई-रिक्शा चलाने के लिए चंचल की दिन की शुरुआत सुबह साढ़े छह बजे हो जाती है। इसके बाद वह दोपहर के समय घर लौटती हैं और फिर बच्चे को स्नान कराने के बाद उसे खाना खिलाती हैं। ई-रिक्शा चलाते समय बच्चे की भूख दूर करने के लिए वह अपने पास दूध का बोतल भी रखती हैं। चंचल आपको नोएडा के सेक्टर 59 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलाजिकल से सेक्टर 50 स्थित लेबर चौक तक ई-रिक्शा चलाती हुई दिख जाएंगी। इस 6.5 किलोमीटर की दूरी चंचल (27) करीब-करीब रोजाना तय करती हैं।
इस रूट पर ई-रिक्शा चलाने वाली वह अकेली महिला हैं
इस रूट पर ई-रिक्शा चलाने वाली वह अकेली महिला हैं। बच्चे के साथ उनकी यह मेहनत देख यात्री उनके जज्बे की प्रशंसा करते हैं। चंचल का कहना है कि उनकी कमाई इतनी नहीं है कि वह अपने बच्चे को डेकेयर या किसी क्रेच में रख सकें। चंचल का कहना है, 'मेरे ई-रिक्शा में बैठने वाली यात्री इस बात की प्रशंसा करते हैं कि मैं चीजों को खुद संभाल रही हूं। मेरी रिक्शा में महिलाएं भी बैठती हैं।' चंचल का कहना है कि उनके पास ऐसी कोई जगह नहीं है जहां वह अपने बच्चों को छोड़ सकें। चंचल का अपने पति से अलगाव हो गया है और एक कमरे के घर में वह अपनी मां के साथ रहती हैं।
अपनी कमाई को लेकर थोड़ा परेशान रहती हैं चंचल
चंचल बताती हैं कि उनकी मां ठेले पर प्याज बेचती हैं और उनका भाई भी घर पर नहीं रहता। ऐसे में बच्चे को उन्हें अपने साथ रखना पड़ता है। चंचल की तीन बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है। चंचल बताती हैं कि ई-रिक्शा से वह एक दिन में 600 से 700 रुपए कमाती हैं और इसमें से 300 रुपए उस प्राइवेट एजेंसी को चले जाते हैं जिसने ई-रिक्शा के लिए उन्हें लोन दिया है। चंचल अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देना चाहती हैं। वह नहीं चाहतीं कि उनके बेटे को भी उन्हीं तरह का जीवन नसीब हो। लेकिन महंगाई के दौर में अपनी कमाई को लेकर देखकर वह चिंतित एवं परेशान रहती हैं।