Pune Water Crisis: पिंपरी चिंचवड में पानी की समस्या विकट होती जा रही है। मनपा प्रशासन और पदाधिकारियों ने कई बैठकों में आश्वासन दिया था कि पिंपरी चिंचवड शहर में 24 घंटे पानी की आपूर्ति की जाएगी। लेकिन, इसके बावजूद पानी की आपूर्ति अब तक बहाल नहीं हो पाई है। इसे लेकर पिंपरी 24 फरवरी को चिंचवड शहर महिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल द्वारा मनपा भवन में धरना-प्रदर्शन किया गया। उस समय आयुक्त राजेश पाटिल ने आश्वासन दिया कि अगले एक पखवाड़े में जलापूर्ति बहाल कर दी जाएगी। लेकिन, पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। अब पूरे शहर में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है।
मामले में पिंपरी चिंचवड सिटी महिला कांग्रेस शहर अध्यक्षा सायली नढे ने चेतावनी दी है कि अगर कमिश्नर राजेश पाटिल द्वारा जल्द ही समस्या का समाधान नहीं कराया गया तो अगले महीने अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया जाएगा। इस दौरान सायली नढे ने कहा कि शहर को मुख्य रूप से पवन बांध और आंध्र, भामा आस्केड बांध और एमआईडीसी से कुछ क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है। पिछले दो वर्षों में पवन बांध शत-प्रतिशत भरा हुआ था। बांध में अभी भी काफी पानी है। लेकिन प्रशासन की अनिच्छिता के चलते शहर के लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
रोजाना 600 एमएलडी पानी की जरूरत
आयुक्त राजेश पाटिल और उनके प्रशासन ने अभी तक जलापूर्ति को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है। इसके विरोध में गुरुवार को जिला पिंपरी चिंचवड़ जिला पूर्व नगरसेविका निर्मला कदम ने कहा कि पिंपरी चिंचवड शहर को रोजाना 600 एमएलडी पानी की जरूरत है। इसमें से 30 एमएलडी पानी एमआईडीसी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। बचा हुआ पानी पवन बांध से लिया जाता है। पिंपरी चिंचवड मनपा के नागरिकों को चौबीसों घंटे पानी की आपूर्ति के लिए पवना बांध जलसेतु परियोजना, भामा आस्केड जलापूर्ति योजना और आंद्रा बांध से पानी भी शहर के नागरिकों को दिया जाना था। पिछले पांच वर्षों में एक बंद जलमार्ग परियोजना रही है। भामा-आस्केड-आंध्र जलापूर्ति योजना के लिए अभी भी हजारों करोड़ खर्च हो चुके हैं।
विरोध प्रदर्शन में पूर्व नगरसेविका समेत कई लोग मौजूद
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्टैच्यू चौक पर आयोजित सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में पूर्व नगरसेविका निर्मला सद्गुरु कदम, वरिष्ठ नेता निगार बरसकर, प्रियंका कदम, दीपाली भालेकर, डॉ.मनीषा गरुड़, छायाताई देसले, निर्मला खैरे, शिल्पा गायकवाड़, सुप्रिया पोहरे, आशा भोसले, प्रियंका मालशेट्टी, आशा काले, अनीता अधिकारी, लता फर्नांडीस, सीमा हलकट्टी, वैशाली शिंदे, सोनू दमवानी, अनीता ओव्हाल, स्वाति शिंदे, पुष्पा गाडे, चतुर ढेंडे, वदरका गाडे, रुडी सुजाता ढेंडे, रजिया शेख, द्रौपदी लोखंडे, रानी चंदनशिव, वंदना चंदनशिव, दिव्या चंदनशिव, तेजश्री चंदनशिव, रेणुका मुख्टे, रजिया मुजावर, सोनाली गायकवाड़, नंदनी विश्वकर्मा, सुमन विश्वकर्मा, चंदन ओवल, शिला माइकल, सुमन विश्वकर्मा, सवाई, शीला माइकल, सुमन विश्वकर्मा, अनीता शहाणे, अमृता परवे, जानाबाई मोरे, रंजना सदामती, आशा परवे, शकुंतला हटकर, जनबाई मोरे, सुमन नाइक, सुनीता वाघमारे, संगीता डेडेकर आदि महिला कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल रहे।