Mumbai-Pune Forest: भीषण गर्मी के बीच जंगलों में आग लगना और उससे वन संपदा को भारी नुकसान होने की कई घटनाएं बीते दिनों सामने आईं। जंगलों में आग से न सिर्फ हरियाली को नुकसान होता है, बल्कि वन्य जीवों के सामने भी भारी संकट खड़ा हो जाता है। अब महाराष्ट्र वन विभाग ने ऐसी घटनाओं पर समय से काबू पाने के लिए मजबूत खाका तैयार कर लिया है।
जी हां, महाराष्ट्र के किसी भी जंगल में अब आग लगी तो उसकी सूचना कुछ घंटों नहीं चंद मिनटों में ही विभाग तक पहुंच जाएगी। और विभाग की टीम आग के ज्यादा फैलने से पहले ही उसपर काबू पा लेगी। इसके लिए विभाग सैटेलाइट इमेजिंग टेक्नीक का इस्तेमाल करेगा।
महाराष्ट्र वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कल्याण कुमार पी ने बताया कि, विभाग ने जंगल की आग की निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाया है। इसके लिए सैटेलाइट इमेजिंग टेक्नीक का उपयोग किया जाएगा। सैटेलाइट के जरिए कंट्रोल रूम जंगलों की निगरानी करेगा। जैसे ही किसी जंगल में आग लगेगी विभाग के कर्मचारी उसे सटीक तरीके से ट्रैक कर सकेंगे। सूचना मिलने के साथ विभाग की ओर से जंगलों में तैनात टीमों को सूचित कर दिया जाएगा। ये टीमें आग बुझाने के सभी संसाधनों से लैस है। टीमें तुरंत मौके पर जाकर आग पर काबू पा सकेंगी। गौरतलब है कि, कई बार जंगल में लगी आग के बारे में तब पता चलता है, जब वह विकराल रूप ले लेती है। लेकिन अब सैटेलाइट की मदद से हर समय इस पर निगाह रखी जाएगी।
इसी 11 मई को महाराष्ट्र के नागपुर-अमरावती रोड स्थित सुराबर्डी के जंगलों में भयंकर आग लग गई थी। आग इतनी विकराल थी कि, इससे जंगल का छह किलोमीटर तक का पूरा क्षेत्र जल गया था। बाद में दमकल विभाग ने आग पर मुश्किल से काबू पाया। वहीं मई माह की शुरुआत में महाराष्ट्र के अमरावती के मेलघाट जंगल में बने गाविदगढ़ के पुराने किले के परिसर में भीषण आग लगी। इस आग में सैकड़ों हेक्टेयर जंगल जल कर खाक हो गया। वहीं वन्य जीवों के सामने भोजन—पानी तक की समस्या पैदा हो गई। कड़ी मशक्कत के बाद इस आग पर काबू पाया जा सका। इससे पहले महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर फैले गौनापुर के जंगलों में भीषण आग लग गई थी। यह आग छह दिनों तक धधकती रही थी। जंगल का एक बड़ा हिस्सा इस आग में खाक हो गया था।
भीषण गर्मी के बीच देश के जंगलों में आग लगना मानों आम बात है। महाराष्ट्र सहित गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में ये संकट और भी ज्यादा है। इसका प्रमुख कारण है इन क्षेत्रों में पड़ने वाली भीषण गर्मी। इन राज्यों में अधिकतम तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री ज्यादा रहा है। ऐसे में यहां के जंगलों में आग लगने की आशंकाएं भी अधिक रहती हैं।